बालिका ने पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाया है। बालिका का कहना है कि पुलिस किसी के दबाव में ऐसा कर री है। वहीं इस संबंध में भाालेरी थानाधिकारी से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने किसी कारणवश कोई जवाब नहीं दिया।
सुरक्षा मांगने आई थी मिली सजा
राजगढ़ निवासी बालिका का कहना है कि उसने स्वेच्छा से दिनेश के साथ शादी की है। दोनों बालिग हैं फिर भी उन्हे परेशान किया जा रहा है। उसने आरोप लगाया कि वह सुरक्षा के लिए दो अक्टूबर को एसपी कार्यालय में पेश हुई तो उसे व उसके पति को पकड़ लिया गया। सुरक्षा देने की बजाय पुलिस उसके पति को गिरफ्तार कर लिया और उसे बाल कल्याण समिति में भिजवा दिया। वहीं पुलिस का दावा है कि दोनों को कलक्ट्रेट सर्किल से वकील के साथ पकड़ा गया था। बालिका का कहना है कि उसे व उसके पति को उसके परिजनों से जान का खतरा है।
भालेरी पुलिस थाने के तत्कालीन जांच अधिकारी हैड कांस्टेबल प्रदीप कुमार ने बताया कि बालिका की मां ने 19 सितंबर को थाने में नाबालिग लडक़ी के घर से निकलने व रतनगढ़ निवासी दीनदयाल उर्फ दिनेश पर भगा ले जाने का मामला दर्ज कराया था। दो अक्टूबर को लडक़ी दिनेश व अपने वकील के साथ चूरू कलक्ट्रेट सर्किल पर मिली। पूछताछ के बाद लडक़ी को नाबालिग होने पर उसे बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया गया और लडक़े को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया गया।
उधर, प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्ति प्राप्त बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने दावा किया कि लडक़ी बालिग है। पुलिस जिस प्रमाण पत्र के आधार पर उसे नाबालिग मान रही थी उसको जस्टीफाई नहीं कर पाई। दोनों तरफ से जन्म प्रमाण पत्र दिए गए थे दोनों में नाम व उम्र अलग-अलग हैं। जिस प्रमाण पत्र में लडक़ी का नाम है उसमें उसकी उम्र 15 अप्रेल 1998 दिखाई गई है। लडक़ी राउमावि एक राजगढ़ में पहली कक्षा में प्रवेश लिया था वहां भी उसकी उम्र 15 अप्रेल 1998 दिखाई गई है।
राजस्थान सरकार की ओर से भी बालिका को जो जन्म प्रमाणपत्र दिया गया है उसमें भी जन्म 15 अप्रेल 1998 दिखाया गया है। आधार कार्ड में भी यही तिथि है। दोनों तरफ से मिले प्रमाण पत्रों में विरोधाभास होने पर बालिका का मेडिकल परीक्षण कराया गया। सभी तथ्यों का अध्ययन करने के बाद समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि लडक़ी बालिग है। बालिका की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र सही पाए गए। पुलिस एक निजी स्कूल का प्रमाण पत्र पेश कर रही थी जबकि बालिका ने सभी सरकारी संस्थाओं के प्रमाण पत्र पेश किए थे।
भालेरी पुलिस ने जोड़ी पोक्सो एक्ट की धारा
बाल कल्याण समिति ने लडक़ी को बालिग मानते हुए कहीं भी जाने के लिए छह अक्टूबर को स्वतंत्र कर दिया। लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने लडक़े के खिलाफ पोक्सो एक्ट की धारा भी जोड़ दी। जबकि पोक्सो एक्ट की धारा लाडक़ी के नाबालिग होने पर ही जुड़ती है। वहीं भालेरी थानाधिकारी गोपालसिंह का कहना है कि बाल कल्याण समिति कुछ भी माने लेकिन अभी वे उसे नाबालिग ही मान रहे हैं। कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक पुलिस काम कर रही है।
भालेरी पुलिस का दावा
पुलिस का कहना है कि लडक़ी के परिजनों ने जन्म को लेकर जो प्रमाण पत्र दिए उसके मुताबिक लडक़ी कक्षा दो से ननिहाल बुचावास के एक निजी स्कूल में पढऩे लगी। यहां वह दो से लेकर 9वीं तक पढ़ाई की लेकिन 10वीं में स्कूल नहीं आने पर उसका नाम काट दिया गया। इसके बाद किसी दूसरे स्कूल में नाम लिखा लिया। उक्त प्रमाण के मुताबिक बालिका की उम्र 10 अक्टूबर 2002 दिखाई गई है और चार साल बाद ही उसका दूसरी कक्षा में प्रवेश दिखाया गया है। इसके मुताबिक लडक़ी नाबालिग है।