यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बाद उनके बेटे व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह लगातार यहां जीतते आ रहे हैं। वर्ष 1993 में भाजपा भी जीत दर्ज करा चुकी है। तब अजय सिंह, भोजपुर से सुंदरलाल पटवा के खिलाफ चुनाव लड़े थे। भाजपा के गोविंद मिश्रा ने कांग्रेस के चिंतामणि तिवारी को करीब 2200 मतों हरा दिया था।
– भाजपा शरतेंद्र तिवारी 52,440
– कांग्रेस अजय सिंह 71,778 ये हैं चार मुद्दे
उद्योग का अभाव, खराब सड़क, मां का अजय सिंह पर लगाया आरोप, बेरोजगारी भाजपा के मजबूत दावेदार
– अजय प्रताप सिंह- राज्यसभा सांसद हैं। संगठन में भी अच्छी पकड़।
– सरतेंंदु तिवारी- प्रदेश मंत्री संगठन। पिछली चुनाव में बेहतर प्रदर्शन रहा।
– गोविंद मिश्रा- पूर्व सांसद लोगों से लगातार संपर्क में हैं।
– नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जिले की इस सीट से अजेय हैं।
– पिता अर्जुन सिंह के बाद से यहां से लगातार निर्वाचित हो रहे हैं।
– पार्टी व संगठन में खासा दबदबा होने के कारण दूसरे नेता उनके खिलाफ दावेदारी प्रस्तुत करने में हिचकते हैं।
– ब्राह्मण, क्षत्रिय और पटेल मतदाता यहां बहुतायात में हैं। हाालांकि, दलित और अल्पसंख्यक मतदाता भी यहां हार-जीत तय करने के लिए पर्याप्त है। चुनौतियां
– भाजपा के लिए गुटबाजी चुनौतीपूर्ण है।
– भाजपा कांग्रेस को पटखनी देने सत्ता व संगठन दोनों स्तर पर सक्रिय है।
– विकास के बड़े प्रोजेक्ट नहीं ला पाए। विधायक मद से कई कार्य कराए हैं। भाजपा पर रोड़ा पैदा करने का आरोप है। क्षेत्र में विकास की स्थिति जो 15 साल पहले थी, लगभग वही है। अपराध व अवैध कारोबार रोकाना चुनौती है।
– उमेश तिवारी