आमजन की सेहत पर पड़ सकता है विपरीत असर
शहर की आधी आबादी को सोन नदी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इसके लिए फिल्टर प्लांट तो है। लेकिन नवीन पेयजल योजना के तहत बनाई गई टंकियों से शहर में पानी सप्लाई शुरू नहीं की गई। इंटकवेल मशीन खराब हो जाने व अत्यधिक पुरानी होने के कारण जलाशय के पानी को बिना फिल्टर संपवेल व पाइप के सहारे घरों तक पहुंचा दिया जाता है। नगर पालिका के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि व्यवस्था की जा रही है। नवीन इंटक बेल का निर्माण होने के बाद शहर के लोगों को स्वच्छ पानी मिलने लगेगी। पुराने प्लांट का ठीक से रख-रखाव न हो पाने से लोगों को समस्या से जूझना पड़ रहा है।
शहर की आधी आबादी को सोन नदी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इसके लिए फिल्टर प्लांट तो है। लेकिन नवीन पेयजल योजना के तहत बनाई गई टंकियों से शहर में पानी सप्लाई शुरू नहीं की गई। इंटकवेल मशीन खराब हो जाने व अत्यधिक पुरानी होने के कारण जलाशय के पानी को बिना फिल्टर संपवेल व पाइप के सहारे घरों तक पहुंचा दिया जाता है। नगर पालिका के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि व्यवस्था की जा रही है। नवीन इंटक बेल का निर्माण होने के बाद शहर के लोगों को स्वच्छ पानी मिलने लगेगी। पुराने प्लांट का ठीक से रख-रखाव न हो पाने से लोगों को समस्या से जूझना पड़ रहा है।
फिल्टर प्लांट की अनदेखी
नौढिय़ा स्थित फिल्टर प्लांट से शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करने यहां से करीब ५ किमी दूर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पांच दशक पूर्व में किया गया था। यहां सोन नदी से पानी की सप्लाई कर उसे फिल्टर करने के बाद पाइप के सहारे उस पानी को शहर में निर्मित टंकियों में जमा किया जाता है। इसके बाद लोगों के घरों तक इसकी आपूर्ति की जाती है। बढ़ती आबादी को देखते हुए यहां बाद के दिनों में एक और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। पुराने प्लांट में रखरखाव की कमी के कारण स्थिति यह है कि पिछले कई महीने से बगैर ट्रीटमेंट किए पानी लोगों के घरों में पहुंचा दिया जा रहा है।
नौढिय़ा स्थित फिल्टर प्लांट से शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करने यहां से करीब ५ किमी दूर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पांच दशक पूर्व में किया गया था। यहां सोन नदी से पानी की सप्लाई कर उसे फिल्टर करने के बाद पाइप के सहारे उस पानी को शहर में निर्मित टंकियों में जमा किया जाता है। इसके बाद लोगों के घरों तक इसकी आपूर्ति की जाती है। बढ़ती आबादी को देखते हुए यहां बाद के दिनों में एक और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। पुराने प्लांट में रखरखाव की कमी के कारण स्थिति यह है कि पिछले कई महीने से बगैर ट्रीटमेंट किए पानी लोगों के घरों में पहुंचा दिया जा रहा है।