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पांच वर्ष से १४२ पंचो को नहीं मिला बैठक का मानदेय

पांच वर्ष से १४२ पंचो को नहीं मिला बैठक का मानदेय, बजट के अभाव के कारण नहीं हो पा रहा भुगतान, भुगतान के लिए मागा गया २.२५ लाख का बजट

सीधीMay 31, 2020 / 07:47 am

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बजट के अभाव के कारण नहीं हो पा रहा भुगतान, भुगतान के लिए मागा गया २.२५ लाख का बजट

सीधी। जिले की मझौली जनपद में पंचायत राज का माखौल उड़ाया जा रहा है। प्रदेश सरकार के द्वारा पंचो का मानदेय तय किया गया है, लेकिन मझौली जनपद के १४२ पंचो को बीते पांच वर्ष से मानदेय नहीं नसीब हो पाया, जनता के कामों के लिए उन्हें अपनी जेब से राशि खर्च करने की मजबूरी है।
पंचों को प्रत्येक बैठक में मानदेय मिलता है। अब सवाल उठ रहा है कि या तो बैठक नहीं हो रही है या फि र मानदेय के मामले में जिम्मेदार बेपरवाह बन गए। दूसरा मामला चौंकाने वाला यह सामने आया कि चुनाव लडऩ़े वाले सैकड़ों अभ्यर्थियों की अमानत राशि लगभग 10 लाख का भुगतान लटका पड़ा है। पंचों को प्रत्येक बैठक में मिलने वाला मानदेय भी नहीं मिल रहा है। मझौली विकासखंड की पंचायतों में इस तरह की लापरवाही सामने आई है। पंच व सरपंचो का कार्यकाल समाप्त हो चुका है किंतु बजट के अभाव मे उन्हें मानदेय नहीं नसीब हो पाया है।
प्रत्येक बैठक में मानदेय-
ग्राम पंचायतों में प्रत्येक बैठक में पंचों को 100 रुपए मानदेय का प्रावधान है। एक वर्ष में छह बैठक तक प्रत्येक पंच को उक्त राशि मिलती है। इस तरह एक वर्ष का बैठक मानदेय शासन के द्वारा ६०९ रुपए निर्धारित किया गया है। पंचायत चुनाव के बाद कई पंचायतों में बैठकें हो चुकी हैं। पंचों को राशि नहीं मिली है। इसक मतलब साफ है कि या तो पंचायतों में बैठकें नहीं हुई या फि र इन जनप्रतिनिधियों को मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है।
ये है अमानत राशि-
जनपद पंचायत के चुनाव जनवरी से मार्च माह २०१५ मे संपन्न में हुए थे। इसमें जनपद सदस्य, सरपंच व पंच पद का भाग्य आजमाने वाले अभ्यर्थियों से बतौर अमानत के राशि डिपाजिट की थी। जनपद सदस्य के प्रत्येक वर्ग के लिए अमानत राशि अलग-अलग थी। इस पद के सामान्य उम्मीदवारों ने दो-दो हजार रुपए जमा कराए थे। अनुसूचित जाति व अन्य वर्ग के प्रत्याशियों से एक-एक हजार राशि जमा कराई थी। इसी प्रकार से सरपंच पद के अभ्यर्थियों ने पांच-पांच सौ रुपए की अमानत राशि जमा कराई थी। चुनाव में एक मापदंड के मुताबिक वोट नहीं लाने वाले उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। जिन प्रत्याशियों ने इस पैमाने से अधिक मत प्राप्त किए हैं, उनको अमानत राशि लौटाने का प्रावधान है। किंतु जिले मे अमानत राशि नहीं लौटाई गई है।

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