सरकार की तरफ से जो शासनादेश जारी किया गया है। उसमें दूसरे स्टेट के लोगों को किसी अन्य प्रदेश में नियुक्ति पाने के लिए उस प्रदेश में पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। पंजीकरण के बाद ही उनकी नियुक्ति जिले में कहीं भी की जा सकती है । लेकिन इन नियुक्तियों में इस शासनादेश की पूरी तरह अनदेखी की गई और रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र देने से पहले ही दूसरे स्टेट से आए लोगों को जनपद में नियुक्त कर दिया गया ।
इस प्रकरण में जब सीएमओ से बात की गई तो उन्होंने इस मामले को बहुत हल्के में लेते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश बड़े दिल वालों का प्रदेश है इसलिए नियुक्ति पंजीकरण रसीद देखकर उन्हें तैनाती दे दी गई है । जबकि उनको नियुक्ति पत्र या पोस्टिंग शासनादेश के अनुसार पंजीकरण सर्टिफिकेट 3 महीने के भीतर ला कर देने के बाद ही पोस्टिंग का प्रावधान है। कार्यालय में इतने बड़े धांधली के मामले में सिर्फ एक बाबू के खिलाफ हुई कार्रवाई बड़े सवाल खड़े करता है कहीं ऐसा तो नहीं कि पोस्टिंग के इस धांधली के मामले में जिला प्रशासन छोटी मछली की बलि चढ़ा कर बड़ी मछलियों को बचाने का प्रयास कर रहा है।