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अस्पताल में डॉक्टर न होने से आधा सैकड़ा गांवों के मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

locationशिवपुरीPublished: Jul 12, 2019 10:33:52 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

कम्पाउंडर व दो नर्स के भरोसे स्वास्थ्य केन्द्र, विभाग के साथ जनप्रतिनिधि मौन

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अस्पताल में डॉक्टर न होने से आधा सैकड़ा गांवों के मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

शिवपुरी/दिनारा। करैरा अनुविभाग के दिनारा स्वास्थ्य केन्द्र में पिछले तीन साल से कोई भी स्थायी डॉक्टर नहीं हैं। ऐसे में वर्तमान समय में केन्द्र एक कम्पाउंडर व दो नर्सों के भरोसे चल रहा है। स्थिति यह है कि आधा सैकडा ग्रामों के मरीजों को इस केन्द्र का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा और मरीजों को मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज कराने जाना पड़ता है। ऐसा नहीं कि स्वास्थ्य विभाग को इस केन्द्र की स्थिति पता न हो, बल्कि सब कुछ पता होने के बाद भी यहां पर किसी भी डॉक्टर की तैनाती नहीं की जा रही। खास बात यह है कि अधिकारी तो अधिकारी कोई जनप्रतिनिधि भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा।

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2017 में डॉक्टर दीपक वर्मा की पदस्थापना दिनारा स्वास्थ केंद्र पर की गई थी, लेकिन उसी साल जून माह में डॉक्टर वर्मा पीजी करने तीन साल के लिए रीवा चले गए और अस्पताल का चार्ज होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनामिका खरे को दे दिया गया। लेकिन डॉक्टर खरे होम्यापैथिक चिकित्सक होने के कारण मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं नही दे पाईं, जिसके कारण जनवरी 2018 में यहां पर डॉक्टर विष्णु गुप्ता को पदस्थ किया गया। डॉ गुप्ता भी यहां पर महज ढाई महीने रुके और फिर उनका मेडिकल कॉलेज में चयन हो गया तो वह भी यहां से चले गए। वर्ष 2019 में ग्रामीणों ने जब वर्तमान विधायक जसवंत जाटव के सामने डॉक्टर को पदस्थ कराने की मांग रखी तो अप्रैल 2019 में डॉ. एलडी शर्मा को यहां पर तैनात किया गया। खास बात यह रही कि विधायक के दखल के बाद भी डॉ शर्मा केवल 10 दिन ही दिनारा रूके और फिर वह भी अपना अटैचमेंट कराकर नरवर चले गए। आखिर में स्वास्थ्य केन्द्र का चार्ज घूम फिरकर डॉ अनामिका खरे पर आ गया तो वह भी लंबी छुट्टी लेकर अपने घर चली गईं। इसके बाद से केन्द्र में केवल एक कम्पाउंडर राजेन्द्र श्रीवास्तव, दो स्टॉफ नर्स व एक लैब टेक्निशियन ही हैं।
मरीजों को आना पड़ता है करैरा अस्पताल
दिनारा के अस्पताल में डॉक्टर न होने के चलते छोटी-मोटी बीमारी के लिए लोग या तो करैरा आते हैं या फिर उन्हें मजबूरी में झांसी जाना पड़ता है। शासकीय अस्पताल में डॉक्टर न होने से दिनारा कस्बे में दर्जनां की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर फल-फूल रहे हैं। वहीं डॉक्टर न होने से पुलिस को भी एमएलसी व पोस्टमार्टम कराने के लिए करैरा तक भागना पड़ता है।
बुखार सहित अन्य छोटी-छोटी बीमारियों के लिए बाहर दिखाने जाना पड़ता है। अब स्वास्थ्य केन्द्र पर न के बराबर मरीज आते हैं। पहले की तुलना में ओपीडी न के बराबर रह गईहै।
राजेन्द्र श्रीवास्तव कम्पाउंडर स्वास्थ केंद्र दिनारा
मेरी इस संबंध में सीएमएचओ साहब से चर्चा हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही दिनारा स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टर की पदस्थापना करेंगे। डॉक्टर के आते ही मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।
डॉ प्रदीप शर्मा , बीएमओ करैरा

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