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श्योपुर की पहचान को आज भी है पहचान की जरूरत, चुनाव के पहले ये भी रहेगा बहुत बड़ा मुद्दा

locationश्योपुरPublished: Oct 20, 2018 02:46:31 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

श्योपुर की पहचान को आज भी है पहचान की जरूरत, चुनाव के पहले ये भी रहेगा बहुत बड़ा मुद्दा

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श्योपुर की पहचान को आज भी है पहचान की जरूरत, चुनाव के पहले ये भी रहेगा बहुत बड़ा मुद्दा

जयसिंह गुर्जर @ श्योपुर

कहते हैं समय के साथ बदलाव आता है, लेकिन जिले की जीवन रेखा नैरोगेज रेल इस यथार्थ से परे नजर आती है, जिसमें एक सदी बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसी का परिणाम है कि श्योपुर-ग्वालियर रेल लाइन आज भी छोटी रेल है, जो 109 साल बाद भी बड़ी नहीं हो पाई है।

स्थिति यह है कि बीते वर्षों में नेताओं के वादे हुए, स्वीकृति हुई, सर्वे हुआ, बजट मंजूर हुआ, लेकिन धरातल पर बड़ी रेल का पटरी पर दौडऩा तो दूर अभी तक नींव भी नहीं खुद पाई है। यही वजह है कि सरकारों का कथित आधुनिक भारत जहां बुलेट ट्रेन पर दौडऩे की तैयारी में है, वहीं देश के 100 पिछड़े जिलों में शामिल श्योपुर पूरी एक सदी बाद भी नैरोगेज की छुक-छुक सवारी करने को मजबूर है।

बीते 109 साल से श्योपुर जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली श्योपुर-ग्वालियर नैरोगेज रेल लाइन को लेकर राजनीतिक दलों और नेताओं ने चुनावों के समय हर बार भुनाया है। हालांकिवर्ष 2010 में श्येापुर-ग्वालियर नैरोगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने और श्योपुर से दीगोद(कोटा) तक नई लाइन बिछाने के प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली, लेकिन बीते आठ वर्षों में प्रोजेक्ट धरातल की बजाय फाइलों में ही घूमता नजर आ रहा है। बीते आठ वर्षों से आमजन यही सुनते आ रहे हैं कि अब जल्द ही काम शुरू होगा, लेकिन ये जल्द कब आएगा, ये पता नहीं। इसी के चलते इस बार के विधानसभा चुनावों में आमजनता भी नेताओं से इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल पूछने को लेकर बेताब है।

ग्वालियर से श्योपुर तक ट्रेन में आए नरेंद्र सिंह
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मार्च 2009 में मौजूदा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद प्रभात झा ने ग्वालियर से श्योपुर तक नैरोगेज ट्रेन बैठकर सफर किया, साथ ही बीच के स्टेशनों पर उतरकर लोगों से चर्चा की और श्योपुर में आकर सभा की। तत्समय दोनों नेताओं ने जल्द ही नैरोगेज को ब्रॉडगेज में बदलने के वादे किए थे, लेकिन उनकी यात्रा के लगभग 9 साल बाद भी काम चालू नहीं हो पाया।

सिंधिया ने श्योपुर से सबलगढ़ तक किया सफर
तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2010 के रेल बजट में ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट की मंजूरी के बाद 25 मार्च 2010 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, केएच मुनियप्पा और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक कार्यक्रम में श्योपुर आए और ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट को लेकर बड़े बड़े वादे किए। यही नहीं सिंधिया ने तो कार्यक्रम के बाद दोपहर वाली नेरोगेज ट्रेन में श्योपुर से सबलगढ़ तक का सफर किया और जल्द ब्रॉडगेज लाइन का वादा किया, लेकिन 8 साल बाद भी धरातल पर कुछ नहीं है।

प्रस्तावित ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट पर एक नजर

केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस गठबंधित यूपीए सरकार ने ब्रॉडेगेज का प्रोजेक्ट मंजूर किया था। लेकिन भाजपा की सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर पाया है।
बृजराज सिंह चौहान, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस श्येापुर

कांग्रेस की सरकार ने प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं किया। भाजपा सरकार ने प्रोजेक्ट को मंजूर किया है और बजट भी जारी किया है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही धरातल पर भी काम शुरू होगा।
दुर्गालाल विजय, विधायक, श्योपुर

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