इससे पूर्व श्योपुर से गोरस होकर गुजरने वाले मुरैना-भिंड तक का नेशनल हाइवे लिए डीपीआर बनाए जाने की कार्यवाही अलग से चल ही रही है। ऐसे में यदि श्योपुर से शिवपुरी वाला स्टेट हाइवे-6 भी नेशनल हाइवे हो जाएगा तो न केवल जिले का आवागमन सुगम होगा बल्कि श्योपुर के विकास को भी गति मिल जाएगी। वहीं हाल में नेशनल पार्क का दर्जा पा चुका कूनो नेशनल पार्क भी नेशनल हाइवे के रूट पर ही आ जाएगा। क्योंकि कूनो नेशनल पार्क का मुख्य गेट सेसईपुरा से चंद किलोमीटर दूर है और सेससईपुरा से होकर ही ये नया एनएच गुजरेगा। चूंकि सेसईपुरा को कूनो का प्रवेश द्वार कहा जाता है, लिहाजा पर्यटकों को यहां आने में काफी आसानी होगाी।
इसके साथ ही शिवपुरी-शिवपुरी मार्ग एनएच बनने से अभी पिछड़े क्षेत्र के रूप में जाने जाना वाला जिले का कराहल-वनांचल आदिवासी क्षेत्र भी विकास के पथ पर होगा। बताया गया है कि लगभग 200 किलोमीटर के प्रस्तावित इस नए नेशनल हाइवे में श्योपुर और शिवपुरी जिले में फॉरेस्ट की जमीन आएगी, जिसके चलते अफसरों ने फॉरेस्ट की जमीन का आकलन करना शुरू कर दिया है।
गोरस से डबरा तक होगा एनएच
गत वर्ष नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने राजस्थान के सवाईमाधोपुर से श्योपुर होकर गोरस-श्यामपुर-सबलगढ़-मुरैना-भिंड तक के नेशनल हाइवे 552 को मंजूरी दी, जिसके लिए डीपीआर बनाई जा रही है। इसके बाद अब इस 552 नेशनल हाइवे पर जिले के गोरस तिराहे से कराहल-पोहरी-शिवपुरी-नरवर-भितरवार होकर डबरा तक के मार्ग को डबरा से गुजरने वाले नेशनल हाइवे से जोड़कर नया एनएच बनाने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है।
गत वर्ष नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने राजस्थान के सवाईमाधोपुर से श्योपुर होकर गोरस-श्यामपुर-सबलगढ़-मुरैना-भिंड तक के नेशनल हाइवे 552 को मंजूरी दी, जिसके लिए डीपीआर बनाई जा रही है। इसके बाद अब इस 552 नेशनल हाइवे पर जिले के गोरस तिराहे से कराहल-पोहरी-शिवपुरी-नरवर-भितरवार होकर डबरा तक के मार्ग को डबरा से गुजरने वाले नेशनल हाइवे से जोड़कर नया एनएच बनाने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है।
…इधर 552 के लिए किया जा रहा फॉरेस्ट लैंड का आंकलन
श्योपुर-मुरैना और भिंड जिले से गुजरने वाले नेशनल हाइवे 552 के लिए एनएच-पीडब्ल्यूडी शाखा डीपीआर बनाने की प्रक्रिया में जुटी है। बताया गया है कि श्योपुर से गोरस होकर श्यामपुर और फिर सबलगढ़ तक काफी बड़े रकबे में फॉरेस्ट की जमीन आ रही है। यही वजह है कि अफसर फॉरेस्ट की जमीन का आंकलन कर रहे हैं, वहीं जमीन अधिग्रहण की एनओसी लेने की प्रक्रिया भी की जा रही है। इसके बाद ये साफ होगा कि फॉरेस्ट की जमीन के किए कितनी राशि चुकानी पड़ेगी और इसके बाद ही नेशनल हाइवे की वास्तविक लागत निकलकर आएगी। उल्लेखनीय है कि 552 एनएच राजस्थान के टोंक से निकलकर सवाईमाधोपुर, श्योपुर, मुरैना, भिंड होते हुए चिरगांव(झांसी) तक का है।
श्योपुर-मुरैना और भिंड जिले से गुजरने वाले नेशनल हाइवे 552 के लिए एनएच-पीडब्ल्यूडी शाखा डीपीआर बनाने की प्रक्रिया में जुटी है। बताया गया है कि श्योपुर से गोरस होकर श्यामपुर और फिर सबलगढ़ तक काफी बड़े रकबे में फॉरेस्ट की जमीन आ रही है। यही वजह है कि अफसर फॉरेस्ट की जमीन का आंकलन कर रहे हैं, वहीं जमीन अधिग्रहण की एनओसी लेने की प्रक्रिया भी की जा रही है। इसके बाद ये साफ होगा कि फॉरेस्ट की जमीन के किए कितनी राशि चुकानी पड़ेगी और इसके बाद ही नेशनल हाइवे की वास्तविक लागत निकलकर आएगी। उल्लेखनीय है कि 552 एनएच राजस्थान के टोंक से निकलकर सवाईमाधोपुर, श्योपुर, मुरैना, भिंड होते हुए चिरगांव(झांसी) तक का है।
वर्जन
नेशनल हाइवे 552 के लिए डीपीआर बन रही है, अभी फॉरेस्ट लैंड अधिग्रहण के बारे में कार्यवाही चल रही है। इसके बाद गोरस से शिवपुरी होते हुए डबरा तक का नेशनल हाइवे भी बनना है, इसके लिए भी हम सर्वें कर रहे हैं।
जीवी मिश्रा
कार्यपालन यंत्री, एनएच-पीडब्ल्यूडी ग्वालियर
नेशनल हाइवे 552 के लिए डीपीआर बन रही है, अभी फॉरेस्ट लैंड अधिग्रहण के बारे में कार्यवाही चल रही है। इसके बाद गोरस से शिवपुरी होते हुए डबरा तक का नेशनल हाइवे भी बनना है, इसके लिए भी हम सर्वें कर रहे हैं।
जीवी मिश्रा
कार्यपालन यंत्री, एनएच-पीडब्ल्यूडी ग्वालियर