श्योपुर जिला अस्पताल में संचालित एनआरसी(पोषण पुनर्वास केंद्र) की बात करें तो यहां क्षमता महज 20 बेड की है, लेकिन शुक्रवार की स्थिति में यहां 80 बच्चे भर्ती हैं। हालांकि प्रबंधन ने जैसे-तैसे 40 से 50 बेड लगाए हुए हैं, लेकिन ये भी अपर्याप्त हैं रहे हैं। जिसके चलते एक बेड पर दो-तीन बच्चे भर्ती करने पड़ रहे हैं। बाहर टीनशेड में लगे पलंगों पर तो चादर तो दूर गद्दे भी नहीं बिछे हैं। जिसके कारण महिलाओं और बच्चों को खाली पलंगों पर ही सोना पड़ता है। वहीं एनआरसी श्योपुर में स्टाफ की स्थिति देखें तो यहां न तो केयर टेकर है और न ही एफडी (फीडिंग डेमोस्ट्रेटर) है। हालांकि तीन एएनएम पदस्थ हैं, लेकिन ये पद सिर्फ 20 बेड के लिहाज से हैं, लेकिन 80 बच्चों के भर्ती होने से वर्कलोड ज्यादा हो गया है। इसी के चलते जिला मुख्यालय की एनआरसी ओवरलोड नजर आ रही है।
कराहल और विजयपुर में भी दो गुने
जहां एक ओर जिला मुख्यालय की एनआरसी में क्षमता से चार गुना कुपेाषित बच्चे भर्ती हैं, वहीं विजयपुर और कराहल में भी स्थिति कोई जुदा नहीं है। यहां 20-20 बेड की एनआरसी में दो गुने बच्चे भर्ती हैं। शुक्रवार की स्थिति में विजयपुर में जहां 36 बच्चे भर्ती हैं, वहीं कराहल में 40 बच्चे भर्ती हैं। लेकिन स्टाफ की स्थिति यहां भी कुछ ऐसी ही है।