आपको बता दें कि जनपद मुजफ्फरनगर का निवासी स्वतंत्रता सेनानी ओमप्रकाश आज शामली जनपद की कैराना कोतवाली में पुलिस अधिकारियों से मिलने पहुंचे थे। यहां उन्होंने थाने में मौजूद पुलिस अधिकारियों से अपनी आपबीती बताई तो उसकी आंखों में आंसू छलक पड़े। स्वतंत्रता सेनानियों प्रकाश ने बताया कि वे भारत की आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं। आजादी के समय उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्हें सन 1942 में तिहाड़ जेल में सजा भी काटनी पड़ी थी। देश की आजादी के बाद से वह अपने चार बेटों के साथ परिवार में रह रहे थे, लेकिन दो बेटों की मौत के बाद परिवार आर्थिक तंगी की जाल में फंस गया। इसके बाद से अब बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी ओमप्रकाश अपनी और अपने मृतक बेटे की विधवाओं के लिए पेंशन बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने रविवार को कोतवाली में वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर अपनी पेंशन बनवाए जाने की गुहार लगाई। स्वतंत्रता सेनानी ओम प्रकाश ने बताया कि वह लंबे समय से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक भी कोई अधिकारी इस स्वतंत्रता सेनानी की सुनने को तैयार नहीं। स्वतंत्रता सेनानी ओम प्रकाश को अपनी पोती की शादी भी करनी है, जिसके लिए भी उनके पास पैसे तक नहीं है।