शिक्षा की अलख जगाने के लिए इस शख्य ने उठाया ऐसे कदम… और बन गए मसीहा
शाजापुरPublished: Jan 28, 2019 12:25:53 am
सेवानिवृत्ति के बाद पढ़ाने का कम नहीं हुआ जज्बा, बच्चों को दे रहे नि:शुल्क शिक्षा, शिक्षा जगत की विभूति है ‘पाल सरÓ
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शाजापुर. स्कूल में रहकर बच्चों को शिक्षा देने वाले तो बहुत शिक्षक होते हैं, लेकिन स्कूल से रिटायरमेंट होने के बाद भी बच्चों को नि:शुल्क सेवा देने वाले बिरले ही मिलते हैं। शाजापुर में रहने वाले एक शासकीय शिक्षक ने अपने कार्यकाल में तो बच्चों के लिए बहुत सी सौगातें दीं, वहीं जब वे सेवानिवृत्त हो गए तो भी उनका जुनून कम नहीं हुआ। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे आज भी बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग देते हंै। वहीं बच्चों की फिटनेस के लिए जिम में ट्रेनिंग भी देते हैं।
हम बात कर रहे हैं शहर के शरद नगर में रहने वाली सेवानिवृत्त शिक्षक लीलाधर पाल की। बच्चे जिन्हें गिली मिट्टी की तरह माना जाता है उन्हें सही आकार देने के लिए पाल सर ने अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया है। लीलाधर पाल शासकीय सेवा से निवृत्त जरूर हुए पर ज्ञान को बढ़ाने और फैलाने का उनका काम आज भी सतत जारी है। वो आज भी अपने घर पर छत के एक कोने मेें टीनशेड की छत के नीचे ब्लैक बोर्ड पर बच्चों को प्रतिदिन गणित के सवाल हल करवाते हैं।
जहां भी गए अपनी छाप छोड़ दी
सन 1973 से 2012 तक के शिक्षा जगत में अपने कार्यकाल के दौरान पाल सर का जिस भी स्कूल में ट्रांसफर हुआ वहां पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। 31 जुलाई 2012 को शासकीय बामावि हरायपुरा से सेवानिवृत्त हुए पाल सर ने सबसे पहले वर्ष 2007-08 में कन्या माध्यमिक विद्यालय शाजापुर में गणित विषय में टॉपर 10 छात्राओं को 10-10 ग्राम के चांदी के सिक्के स्वयं के खर्च से लाकर उपहार स्वरुप दिए। इसी प्रकार शासकीय मावि आला उमरोद में 2009-10 में एक बच्चे को साइकिल और 10 बच्चों को चांदी के सिक्के बांटे। शासकीय मावि भरड़ में तो पाल सर के कार्य की सराहना अभी-भी हर कोई करता है। इस स्कूल में पाल सर ने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हुए गणित में टॉपर 1 बच्चे को साइकिल और 10 बच्चों को चांदी के सिक्के बांटे।
लोन लेकर बनवाई जिम
अपने सेवा काल के दौरान पाल सर ने एलआइसी से 2 लाख 50 हजार रुपए का लोन लेकर शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक-1 शाजापुर में बच्चों के वेटलिफ्टिंग के लिए एक जिम भी बनवाई। इस जिम की चाबी आज भी स्कूल के पास ही है। इसमें वेटलिफ्टिंग करके कई बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर तक नाम रोशन किया है। इसी प्रकार सेवानिवृत्ति के बाद पाल सर ने कस्तुरबा मांटेसरी निजी विद्यालय में 6 लाख की लागत से एक टेबल टेनिस हॉल भी बनवाया और इसमें 40 हजार खर्च करके एक टेबल टेनिस के लिए टेबल भी रखवाई थी।