अधूरे इंतजाम से बच्चों की जान पर बन आई , भीड़ बढ़ी तो बढ़ा दिया हिमोग्लोबिन
शाजापुरPublished: Jul 21, 2019 12:45:32 am
टारगेट का खेल : कलेक्टर भी थे मामले से अंजान, २०० से अधिक बच्चे पहुंचने पर सक्रिय हुआ शासकीय अमला कलेक्टर की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ बढ़ाया टारगेट, सीएमएचओ के इंतजाम में लापरवाही
शाजापुर. १० जून से शुरू हुआ दस्तक अभियान लापरवाही की भेंट चढ़ गया। १८ दिनों में एनिमिया के चिंहित बच्चों को जिला अस्पताल में लाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम रहा। कलेक्टर की सख्ती भरे निर्देश के बाद अभियान के अंतिम दिन शनिवार को जिला अस्पताल में एनिमिया चिंहित बच्चों को जिला अस्पताल लाया गया। यहां हितग्राहियों को अनेक परेशानी का सामना करना पड़ा। जिन बच्चों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लड की कमी बताई गई थी। उन बच्चों में जिला अस्पताल में जांच के दौरान ब्लड ज्यादा मात्रा में पाया गया। दोनों जगह स्वास्थ्य विभाग के अमले ने जांच की। अचानक बच्चों का हिमोग्लोबिन एक ही दिन में बढऩा जांच का विषय है। खास बात यह है कि कलेक्टर को भी बच्चों को खून चढ़ाने की जानकारी नहीं थी।
शनिवार को जिला अस्पताल बच्चों और माताओं से भरा रहा। शिशु रोग विशेषज्ञ कक्ष, पैथोलॉजी लैब, दवाई वितरण केंद्र, शिशु वार्ड खचाखच भरा हुआ था। बच्चों के साथ आई माताओं को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता छोड़ चुकी थी। जिन्हें समझ नहीं आ रहा था कि जाना कहा हैं। बच्चे और माताएं पसीने-पसीने हो रहे थे। बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था।
एक पलंग पर दो-तीन बच्चों चढ़ाया ब्लड
शिशु वार्ड में बच्चों की इतनी भीड़ थी कि एक पलंग पर दो-तीन बच्चों को ब्लड चढ़ाया जा रहा है। ऐसे में अनेक परिजन बच्चों को कंधों पर लेकर इंतजार में इधर उधर घूमते रहे। बेड खाली होने और नंबर आने के लिए परिजन परेशान होते रहे।
स्ट्रेचर पर बैठकर किया पंजीयन
अस्पताल में इतनी भीड़ थी कि अटेंडर क्या, स्वास्थ्यकर्मियों को भी जगह नहीं मिल रही थी। जिसे जहां जगह मिली वहीं से काम शुरू कर दिया। इस दौरान मो. बड़ोदिया ब्लॉक के सूपरवाइजनों ने अस्पताल परिसर में रखी स्टे्रचर पर बैठकर पंजीयन किया।मो. बड़ोदिया ब्लॉक से ५६ बच्चों का पंजीयन हुआ, जिनमें से १६ बच्चों का ब्लड के लिए चयन हुआ। इसी तरह बेरछा ब्लाक के शाजापुर में २६ बच्चों का चयन हुआ था, जिसमें २ बच्चों को ब्लड के लिए चयन हुआ।
अस्पताल से नदारद रहे जिम्मेदार
दस्तक अभियान के अंतिम इतने बच्चों को जिला अस्पताल एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की मदद से लाया गया। इसके लिए १०८, जननी एक्सपे्रस और अंधत्व निवारण विभाग के वाहन लगातार चलते रहे। खास बात यह है कि प्रभारी सिविल सर्जन मीटिंग में गए हुए थे। सीएमएचओ डॉ. जीएल सोढ़ी और दस्तक अभियान प्रभारी डॉ. हावडिय़ा भी मौजूद नहीं थे। भीड़ को काबू करने के लिए स्टॉफ नर्से, एएनएम और आशा कार्यकर्ता अपने स्तर पर प्रयास करती रही।
&मैं बाहर हूं। हिमोग्लोबिन में अंतर आ जाता है। सभी लोग अभियान को सफल बनाने में लगे हैं। कलेक्टर साहब की फटकार के बाद अंतिम दो दिन सभी लोग गंभीरता से हितग्राही को अस्पताल लेकर आने में जुटे हैं। इससे भीड़ अधिक रही।
डॉ. हावडिय़ा, प्रभारी दस्तक अभियान
&जिला अस्पताल में बच्चों को ब्लड चढ़ाने की जानकारी पहले मुझे नहीें थी। बाद में सूचना आने पर मैने संबंधित अधिकारियों को व्यापक व्यवस्था किए जाने का आदेश दिया है। साथ ही आगे इस प्रकार की घटना की पुर्नावृत्ति न हो, इसकी हिदायत दी है। बेड कम होने पर स्पेशल बेड लगाए जाएंगे।
डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत, कलेक्टर