script

अभी नहीं चेते तो होगी लोगों को मुश्किल

locationशाजापुरPublished: Jan 13, 2019 12:19:08 am

Submitted by:

Lalit Saxena

मुसीबत: जनवरी में ही तल में उतरने लगा पानी, जलस्तर १२० फीट से नीचे पहुंचा

patrika

administration,down,wastage,water level,water crices,not action,Missuse,

शाजापुर. अभी तो गर्मी काफी दूर है, लेकिन सिंचाई परियोजनाओं में पानी खत्म हो गया है। तालाब और डैम में पानी सूखने लगे हैं। जिले में जलस्तर तेजी से गिर रहा है। अगर अभी भी पानी को नहीं सहेजा तो जल्द ही जलसंकट देखने को मिल सकता है। इस बार अल्पवर्षा और आगामी दिनों में जलसंकट की स्थिति को देखते हुए जनवरी माह में ही कलेक्टर श्रीकांत बनोठ ने जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया। नलकूप खनन व व्यर्थ पानी पर प्रतिबंध लगाया है। नदी, नालों, तालाबों और डैम के सूखने के बाद अब पानी जमीन तह तक पहुंचता जा रहा है। जलस्तर 1३५ फीट नीचे पहुंच चुका है। शहर में दो दिन में एक बार जल प्रदाय हो रहा है। तो ग्रामीणों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ रहा है।
१३५ फीट नीचे पहुंचा जलस्तर-जिले का जलस्तर घटने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। स्थिति यह है कि जनवरी माह से ही जलस्तर गिरना चिंता का विषय है। लगातार गिर रहे जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने फिजूल पानी पर रोक लगा दी है। जनवरी माह में ही जलस्तर ४२ मीटर यानी १३५ फीट के नीचे पहुंच चुका है। इससे आने वाले समय में जलस्तर और अधिक गिरने की संभावना है। बता दें कि पिछले साल गर्मी के दिनों जलस्तर ४५ मीटर के करीब पहुंच गया था। इस बार जनवरी में ४२ मीटर जलस्तर होने से प्रशासन भी पानी बचाने को लेकर सक्रिय है। इसको लेकर गत दिनों नगर पालिका, सिंचाई विभाग, पीएचई विभाग की बैठक आयोजित की गई थी।
पानी के अपव्यय पर अब भी नहीं रोक
इस साल औसत से कम बारिश होने से जिला प्रशासन ने जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया। पानी की फिजूल बर्बादी पर प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन शहर में पानी के अपव्यय पर पाबंदी नजर नहीं आ रही है। पानी फिजूल ही बहाते रहे तो ऐसा न हो कि आगामी समय में पीने का पानी के लिए मशक्कत करना पड़े। बता दें कि शहर के सर्विस सेंटरों पर छोटे-बड़े वाहन धोने का काम करने वालों ने काम जारी रखा है। जिससे पूरे दिन पानी की बर्बादी हो रही है। यहां जलस्रोतों से पाइपों के माध्यम से हजारों लीटर पानी खींचकर वाहन धोने का काम जारी है। इधर शहर में विभिन्न मोहल्लों गलियों में लगे सरकारी नलों में टोटियां नहीं है। यहां क्षेत्रवासी पानी भरने के बाद नल खाली छोड़ देते हैं, जिससे जलप्रदाय होने तक पानी व्यर्थ बहता रहता है।
जनवरी में ही जलसंकट, अपै्रल-मई में बढ़ेगी मुसीबत
इस बार मानसून की बेरूखी के चलते 27 प्रतिशत बारिश कम हुई थी। जिले की औसत बारिश 990.1 मिमी है, जबकि 719.8 मिमी बारिश ही हुई थी। टुकड़ों-टुकड़ों में हुई बारिश की वजह से पेयजल स्रोत जैसे डेम-तालाब लबालब नहीं भर सके तो नदियां भी सूख गए। कालीसिंध, लखुंदर, नेवज, पार्वती, चीलर जैसी नदियां सूखकर मैदान बनने लगी हैं। ऐसे में लोगों की पर्याप्त जलापूर्ति नहीं हो रही तो भूमिगत जल स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है। मौजूदा समय में औसत 42 मीटर भूजल स्तर है जो पिछले साल की तुलना में 6 से 8 मीटर अधिक है। भविष्य में गंभीर जलसंकट को देखते हुए कलेक्टर ने मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम 198 6 की धारा 3 के तहत जिले को जलाभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर आदेश जारी किए। इसके तहत अशासकीय व निजी ट्यूबवेल खनन पर प्रतिबंध लगाया गया। यदि जन सामान्य द्वारा नलकूप खनन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जाता है तो एसडीएम निराकरण करेंगे। हालांकि ट्यूबवेल खनन की अनुमति विशेष परिस्थिति को देखकर ही दी जाएगी लेकिन अधिक संख्या में खनन किसी भी हालात में नहीं होगा। बिना अनुमति खनन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कारर्वाई की जाएगी।
भू-जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। नदियों में पानी सूखने के साथ ही जलस्तर नीचे जा रहा है। ऐसे में पानी व्यर्थ न बहाते हुए पानी बचाना जरूरी है। गर्मी से सीजन को लेकर विभाग सक्रिय है।
आरएस देहरिया, कार्यपालन यंत्री, पीएचई विभाग

ट्रेंडिंग वीडियो