राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया। एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया। एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा में प्रवेश कर गया। घना जंगल और सांझ का समय था। तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई। उसने भी अपने घोड़े को एड़ लगाई। राजा आगे -आगे दुश्मन सैनिक पीछे-पीछे। बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया। भूख प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी। उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ में छिपा लिया और सांस रोक कर बैठ गया। दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे-धीरे पास आने लगी। दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा। उसे लगा कि बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे। वो जिंदगी से निराश हो ही गया था कि उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साधु की बात याद आ गई। उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा। उस पर्ची पर लिखा था — यह भी कट जाएगा।
राजा को अचानक ही जैसे घोर अन्धकार में एक ज्योति की किरण दिखी। डूबते को जैसे कोई सहारा मिला। उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ। उसे लगा कि सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा। फिर मैं क्यों चिंतित होऊं। अपने प्रभु और अपने पर विश्वास रख उसने स्वयं से कहा – हाँ, यह भी कट जाएगा।
और हुआ भी यही। दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते-आते दूर जाने लगी। कुछ समय बाद वहां शांति छा गई। राजा रात में गुफा से निकला और किसी तरह अपने राज्य में वापस आ गया।
सीख जब ऐसा हो तो दो मिनट शांति से बैठिए। थोड़ी गहरी गहरी साँसें लीजिए। अपने आराध्य को याद कीजिए और स्वयं से जोर से कहिए – यह भी कट जाएगा। आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अन्दर महसूस करेंगे।