अंग्रेजों के प्रति आक्रोश लाट साहब का जुलूस निकालने की ये परम्परा बरसों पुरानी है। अंग्रेजों ने जो जुल्म हिन्दुस्तानियों पर किये थे, वो दुख आज भी हर किसी के दिल में मौजूद है। यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं। लाट साहब के जुलूस में अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं। उसे जूते और झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है। इसके अलावा लोग लाट साहब को जूते फेंक कर मारते हैं। यहां खास बात ये होती है इस लाट साहब के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता है। जब ये जुलूस मेर रोड पर आता है तो लाट साहब को एक पन्नी की चादर से ढक दिया जाता है। इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते है।
सुरक्षा में दो हजार पुलिस वाले तैनात किए लाट साहब का जुलूस शहर में दो स्थानों से निकाला जाता है। पहला बड़े चौक से और दूसरा सराय काईया से। इनमें हुड़दंगी हर साल कोई न कोई बलवा जरूर खड़ा कर देते हैं। वैसे तो किसी को सरेआम पीटना गैरकानूनी होता है लेकिन यहां किसी को जूतों और झाड़ू से पीटने का ये पूरा खेल पुलिस की निगरानी में ही होता है। इसी के चलते इस बार शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस अधिकारियों समेत लगभग दो हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, ताकि होली शान्तिपूर्ण ढंग से निपट जाये।