भाजपा सरकार बनने पर 2018 में मुकदमा वापस लेने कि प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसकी जानकारी होने पर पीड़िता ने एतराज जताया तो अदालत ने लोकहित से जुड़ा मामला नहीं मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था। चिन्मयानंद कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ तो 30 नवंबर 2022 को एमपी एमएलए कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत मिली थी। इसके बाद चिन्मयानंद ने एमपी एमएलए कोर्ट में हाजिर हुए थे।
कोर्ट से निकलने के बाद चिन्मयानंद ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। उनके वकील फिरोज खां ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 6 गवाह पेश किए गए। इसमें मेडिकल करने वालीं डॉ. सईद फातिमा, एफआईआर लेखक खुर्शीद अहमद, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एमपी गंगवार, बीपी गौतम और विवेचक मुकदमा इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह शामिल थे।
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता फिरोज हसन खां ने सभी गवाहों से जिरह की। जिरह की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विशेष लोक अभियोजक नीलिमा सक्सेना ने और बचाव पक्ष से अधिवक्ता फिरोज हसन खां और मनेंद्र सिंह ने अदालत में अपने तर्क पेश किए। इसके बाद न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया।