सबसे पहले संभागीय मुख्यालय के कल्याणपुर में 25 नवंबर को रिहायशी इलाके के पास नर बाघ का शव पाया गया था। बाद में पता चला कि उसका शिकार किया गया था। बाद में आरोपी पकड़े भी गए।
गोहपारू वन परिक्षेत्र के सेमरा में 29 नवंबर को गोली मारकर तेंदुए का शिकार किया गया था। ग्रामीणों की मदद से आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
03 दिसंबर को अर्जुनी में एक बाघ की मौत का मामला सामने आया था। उस बाघ का भी शिकार किया गया था।
27जनवरी को जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र में नर बाघ की मौत ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाघिन के साथ एक और शावक था लेकिन उसका आज तक पता नहीं चला है। वन विभाग की टीम उसको तलाश कर रही थी लेकिन वह आज तक नहीं मिला। आशंका है कि कहीं उसका भी तो शिकार नहीं कर लिया गया।
11 दिसंबर को घुनघुटी वन परिक्षेत्र के काचोदर में एक बाघिन और एक शावक का शिकार किया गया था। वन विभाग की टीम ने वहीं पर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया था।
वन विभाग के अधिकारियों और मैदानी कर्मचारियों की लगातार लापरवाही के कारण तीन महीने के बीच यह 6वीं मौत हुई है। इसके पहले चार बाघ और एक तेंदुए की मौत हो चुकी है।
बाघिन के साथ एक और शावक था लेकिन उसका आज तक पता नहीं चला है। वन विभाग की टीम उसको तलाश कर रही थी लेकिन वह आज तक नहीं मिला। आशंका है कि कहीं उसका भी तो शिकार नहीं कर लिया गया।