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शाहडोल

बाघों के घर और प्रकृति की गोद में गूंज रहे वेदों के मंत्र और गीता के श्लोक

शिक्षा : गरीब और निराश्रित बच्चों को आश्रम में रखकर पढ़ाते हैं संस्कृत का पाठ

शाहडोलSep 14, 2018 / 02:07 pm

shivmangal singh

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बाघों के घर और प्रकृति की गोद में गूंज रहे वेदों के मंत्र और गीता के श्लोक

शहडोल (शुभम बघेल). बांधवगढ़ नेशनल टाइगर रिजर्व से सटे छपरौड़ के हनुमंतकुंज आश्रम में प्रकृति और बाघों के पहरे के बीच हर दिन वेद और शास्त्रों की क्लास लगती है। गरीब और निराश्रित बच्चों को आश्रम में स्थित आवासीय स्कूल में रखकर संस्कृत शिक्षा का सिलसिला पिछले 16 सालों से चला आ रहा है। गांव सहित आसपास के जिलों के 83 बच्चों को आश्रम में नि:शुल्क संस्कृत की शिक्षा दी जा रही है। यह है कि संस्कृत स्कूल बिना किसी सरकारी मदद के पिछले 16 सालों से संचालित की जा रही है। जंगल और टाइगर रिजर्व से सटे आश्रम में अनुशासन के साथ बच्चों के लिए संस्कृत की क्लास लगती है। बटुकों के आवास, शिक्षा और भोजन का जिम्मा आश्रम उठाता है।जंगल और नेशनल पार्क से लगे होने की वजह से चारों ओर अक्सर वन्यप्राणियों का मूवमेंट भी बना रहता है।
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हर दिन सात घंटे की क्लास लेते हैं सात शिक्षक
आश्रम के पदाधिकारियों के अनुसार, संस्कृत विद्यालय को पंतजलि संस्कृत बोर्ड उज्जैन से अधिकृत है। यहां पर सात शिक्षकों को संस्कृत पढ़ाने के लिए पदस्थ किया गया है। सात शिक्षक सुबह 9 से शाम 4 बजे तक संस्कृत श्लोक के अलावा वेद, शास्त्र और संस्कृत से जुड़े व्याकरण की पढ़ाई कराते हैं। इन शिक्षण सत्र में 83 बच्चों को पढ़ाया जा रहाहै।

श्रद्धालु देता है 10 रुपए की सदस्यता शुल्क
हाल ही में नए शिक्षकों को पदस्थ करने के बाद आश्रम ने नई व्यवस्था बनाई है। आश्रम से जुड़ा श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से प्रतिदिन 10 रुपए की सदस्यता लेता है। कुछ श्रद्धालु संस्कृत शिक्षा के लिए वार्षिक शुल्क इन निर्धन बच्चों के लिए जमा कराते हैं। जिसके माध्यम से इन बच्चों को नि:शुल्क संस्कृत शिक्षा दी जा रही है।

डेढ़ हजार बच्चे हुए शिक्षित, राज्य स्तर में भी चयन
आश्रम व्यवस्था प्रमुख की मानें तो 2002 से अब तक लगभग डेढ़ हजार बच्चों को संस्कृत शिक्षा दी जा चुकी है। कक्षा ६ से लेकर कक्षा 12वीं तक पूरी तरह बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। अनुशासन की पाठ भी पढ़ाया जाता है। राज्य स्तर में आयोजित होने वाले कालीदास समारोह में श्लोक गायन में यहां के पांच बच्चों का चयन किया गया था।
आश्रम में 2002 से संस्कृत की शिक्षा दी जा रही है। यहां निर्धन बच्चों को नि:शुल्क 6वीं से 12वीं तक संस्कृत की पढ़ाई कराई जाती है। सात शिक्षकों को भी पदस्थ किया गया है। यहां के बच्चे राज्य स्तर पर भी चयन हो चुके हैं। श्रद्धालुओंकी मदद से संस्कृत विद्यालय की व्यवस्थाएं चलती हैं। हर दिन श्लोक, वेद और शास्त्रों की क्लास लगाई जाती है।
आनंद तिवारी, व्यवस्थापक हनुमंतकुंज आश्रम, छपरौड़

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