नहीं मिलते सिंधी भाषी शिक्षक
सिंधी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हम लोगों ने हर स्तर पर प्रयास किया है और कई सेवानिवृत्त अधिकारियों व शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को भाषा सिखाने का काम किया जाता है। इसके बाद भी हमें सिंधी भाषी शिक्षक नहीं मिल पाते हैं, जिससे सिंधी भाषा की विधिवत शिक्षा देने में काफी परेशानी आती है। अरबी सिंधी थोड़ा कठिन है, इसलिए अधिकांश लोग अब देवनागरी सिंधी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
लालचंद कुंदनानी, 80 वर्ष
आयोजनों में करते हैं जागरूक
सिंधी भाषा को जीवंत बनाए रखने के लिए मैने सिंधु नीति कल्चर सोसायटी का गठन कर पिछले कई वर्षों से साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। जिसमें समाज के अन्य कई लोग भरपूर सहयोग कर रहे हैं। खासतौर पर झूलेलाल चालीसवां महोत्सव में इसका व्यापक प्रचार-प्र्रसार होता है।
चंन्दन बहरानी, 65 वर्ष
महिलाओं व बच्चों को करते हैं प्रेरित
हमने सिंधी भाषा का प्रचार प्रसार करने के लिए बकायदा एक ग्रुप बनाकर रखा है। जो छुट्टी के दिन लोगों के घरों मे जाकर बच्चों और महिलाओं को सिंधी भाषा का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा समाज के किसी भी कार्य में यदि कोई अन्य भाषा का प्रयोग करता है, तो मैं स्वयं उस पर एक रुपए का जुर्माना लगाता हूं और जुर्माना की राशि का एकत्र कर गरीबों को बांट देता हूं।
विजय लाहोरानी,49 वर्ष
अचो त मातृ भाषा सिखूं
मातृभाषा को सीखने व सिखाने के लिए हम लोगोंं ने युवाओं पर ज्यादा जोर दिया है। जिसका परिणाम यह रहा है कि अधिकांश लोग देवनागरी लिपि में सिंधी भाषा के अलफ अंब बे बला को समझकर लिखने व बोलचाल में ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। हमने बाहर से भी शिक्षकों को बुलाकर शिविर लगाया है, ताकि लोगों की भाषा संबंधी समस्याओं का समाधान हो सके।
महेश फबियानी, 48 वर्ष