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आदर्श गांव में चला विकास का बुल्डोजर, घर-खेत सब छीना

locationशाहडोलPublished: Feb 03, 2019 01:59:58 pm

Submitted by:

shivmangal singh

मुआवजा के लिए तारीख पर तारीख, पलायन को मजबूर ग्रामीण, सांसद के आदर्श गांव केलमनिया के हालात, न हाथ में खेती और न ही खुद का घर, 9 करोड़ से तैयार किया जा रहा बांध

shahdol

आदर्श गांव में चला विकास का बुल्डोजर, घर-खेत सब छीना

शहडोल. सांसद के आदर्श गांव से ग्रामीण पलायन के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों को यहां बांध की सौगात तो दे दी लेकिन उनका ही आशियाना और खेत छीन लिया। इतना ही नहीं, कई महीने बीतने के बाद भी ग्रामीणों को मुआवजा भी नहीं दिया गया है। मुआवजा के लिए दफ्तरों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं। ग्रामीण भी अब दफ्तरों में अफसरों की तारीख पर तारीख से थक चुके हैं और उम्मीद छोड़ दिए हैं। अब ग्रामीणों के लिए बांध मुसीबत साबित हो रहा है। शहर से सटे केलमनिया गांव पत्रिका टीम पहुंची तो यहां पर गरीब और बेवश ग्रामीणों का दर्द उभरकर सामने आया। यहां पर सिंचाई विभाग द्वारा लगभग 9 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण कराया जा रहा है। लगभग दस माह से अधिक समय से यहां बांध निर्माण का काम चल रहा है। बांध बनाने के लिए ग्रामीणों का खेत अधिग्रहित किया गया है। कई जगहों में तो घर भी धराशायी कर दिया गया है। केलमनिया सहित आसपास के लगभग आधा दर्जन से ज्यादा गांव हैंं लेकिन मुआवजा का वितरण अब तक नहीं किया गया है।
एक सैकड़ा किसानों को 2 करोड़ का मुआवजा
विभागीय जानकारी के अनुसार, आधा दर्जन गांवों के एक सैकड़ा से ज्यादा किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है। इसमें लगभग 2 करोड़ रूपए का भुगतान मुआवजा के तौर पर दिया जाना है। विभागीय स्तर पर प्रक्रिया पूरी हो गई है लेकिन अब तक किसानों को मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि, कई बार अधिकारियों के यहां शिकायत भी की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
न सांसद सुनते हैं, न जनप्रतिनिधि
ग्रामीणों ने बताया कि सांसद ज्ञान सिंह सिर्फ दो बार गांव आए हैं। सांसद के सामने भी बात रखी गई लेकिन कोई सुुनवाई नहीं हुई। स्थिति यह है कि न तो सांसद सुनते हैं और न ही कोई जनप्रतिनिधि। अधिकारियों के पास कोई समस्या लेकर जाओ तो कहते हैं लेटरहेड में लिखवाकर लाओ।
पहले खेत था तो हाथ में मजदूरी थी, अब कहां जाएं
ग्रामीण कहते हैं, पहले खुद का खेत था और घर भी था। हाथ में रोजगार था। अब तो खेत भी अधिग्रहित कर लिया गया है। कई जगहों में घर भी इसकी चपेट में आ गए हैं। अब न तो हाथ में रोजगार हैं, न खेत है और न ही खुद का घर है। अफसरों ने मुआवजा भी नहीं दिया है।
बांध के लिए उजाड़ दिया घर
ेलमनिया में काफी समय से घर बनाकर रह रहा था। बांध ने घर उजाड़ दिया है। मुआवजा का भी भुगतान नहीं किया है। मैं और मेरा परिवार अब इधर उधर भटकने को मजबूर हैं।
बजारू, ग्रामीण केलमनिया
खेत और घर दोनों खत्म कर दिया
बांध के निर्माण ने खेत और घर दोनों खत्म कर दिया है। मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। इससे हाथ में कोई रोजगार भी नहीं है। कोई अधिकारी और नेता भी नहीं सुन रहे हैं।
डोमारी, ग्रामीण केलमनिया
अब मुआवजा के लिए आस छोड़ी
सांसद का आदर्श गांव तो है लेकिन अनदेखी है। स्थिति यह है कि मुआवजा के लिए किसान भटक रहा है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। न तो सांसद सुन रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि सुनते हैं।
प्रद्युम्मनाथ, ग्रामीण केलमनिया

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