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शाहडोल

राम से जोडऩे पहल, नि:शुल्क उपलब्ध करा रहे श्रीसीताराम नाम लेखन जप पुस्तिका

समाज सेवी की अनूठी पहल, अयोध्या से लेकर आए हैं 400 पुस्तिका

शाहडोलApr 11, 2024 / 12:18 pm

Ramashankar mishra

राम से जोडऩे पहल, नि:शुल्क उपलब्ध करा रहे श्रीसीताराम नाम लेखन जप पुस्तिका

राम से जोडऩे पहल, नि:शुल्क उपलब्ध करा रहे श्रीसीताराम नाम लेखन जप पुस्तिका

शहडोल. लोगों को भगवान राम से जोडऩे नगर के समाज सेवी ने अनूठी पहल शुरु की है। वह स्वयं राम नाम लेखन का कर रहे हैं, साथ ही लोगों को भी इससे जोडऩे नि:शुल्क श्रीसीताराम नाम लेखनजप पुस्तिका उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही जिन्होंने पुस्तिका लेखन कार्य किया है उनका संग्रह भी कर रहे हैं। रामनाम लिखी इन पुस्तिकाओं के संग्रह के बाद वह उन्हे अयोध्या स्थित रामनामी बैंक तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। हम बात कर रहे हैं नगर के समाजसेवी लीलाधर भाई खोडिय़ार की। इन्होंने लगभग एक वर्ष से रामनाम लेखन का कार्य प्रारंभ किया है। साथ ही वह दूसरों को भी इससे जोड़ रहे हैं।
अयोध्या से लेकर आए पुस्तिका
लीलाधर भाई खोडिय़ार ने बताया कि वह 22 फरवरी को अयोध्या गए थे। वहां पांच दिन रुककर भगवान राम के दर्शन व आस-पास भ्रमण किया। वहां से वह 400 से अधिक श्रीसीताराम नाम लेखनजप पुस्तिका साथ में लेकर आए हैं। इस पुस्तिका को वह उन लोगों को उपलब्ध कराएंगे जो राम नाम लेखन कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों से वह पूर्व में लिखी पुस्तिका संग्रह करेंगे और उन्हे खाली पुस्तिका आगे भी राम नाम लिखने के लिए उपलब्ध कराएंगे। उन्होने बताया कि 1 पुस्तिका में 11 हजार राम नाम लिखते हैं। वह स्वयं 1 वर्ष से लगातार राम नाम लेखन का कार्य कर रहे हैं।
नारायण सेवा संस्थान से जुड़े, समाज सेवा में भी आगे
समाज सेवी खोडिय़ार नारायण सेवा संस्थान से जुड़े हुए हैं। पिछले कई वर्षों से वह लोगों के इलाज के लिए सहयोग राशि प्रदान कर रहे हैं। संस्थान ने उन्हें सम्मानित भी किया है। इसके अलावा जिला चिकित्सालय में प्राइवेट वार्ड निर्माण, ग्राम बरुका में हनुमान मंदिर निर्माण सहित समाज सेवा के अन्य कार्यों में वह बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
राम नामी बैंक में संग्रह
राम नाम लेखन कार्य करने वालों से वह पुस्तिका का संग्रह करेंगे। यहां से संग्रह की गई पुस्तिकाओं को वह अयोध्या पहुंचाने का जिम्मा लिया है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम नामी बैंक में इन पुस्तिकाओं का संग्रह होता है। वहां इनकी विधि विधान से पूजा होती है और फिर सरयू नदी में इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है।

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