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गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों ने लिया गुरु मंत्र, मंदिरों में श्रद्धालुओं की सुबह से लगी है कतारें, देखें वीडियों

locationशाहडोलPublished: Jul 16, 2019 12:34:04 pm

Submitted by:

amaresh singh

धूमधाम से मनाई जा रही है गुरुपूर्णिमा

Guru Mantra taken by disciples on Guru Purnima

गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों ने लिया गुरु मंत्र, मंदिरों में श्रद्धालुओं की सुबह से लगी है कतारें, देखें वीडियों

शहडोल। शहर के साथ ग्रामीण अंचलों में गुरुपूर्णिमा धूमधाम से मनाई जा रही है। शहर के मोहनराम तालाब स्थित राम मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की कतारें लगी रही। श्रद्धालुओं ने अपने गुरु से गुरु मंत्र लिया। इसके बाद विधि-विधान से पूजन-अर्चन की। गुरु आश्रमों सहित शहर के कल्याण स्थित मंदिर सहित सभी मंदिरों में श्रद्धालु पूजन-अर्चन के लिए कतारों में लगे रहे।

ज्ञान, शांति और योग शक्ति की प्राप्ति
पंडित लवकुश प्रसाद शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। वैसे ही गुरु चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, योग शक्ति और भक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।


गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है
पंडित लक्ष्मीकांत द्विवेदी का कहना है कि गुरू पूर्णिमा का दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे। शास्त्रों में ”गु” का अर्थ बताया गया है अंधकार या मूल अज्ञान और ”रु” का अर्थ किया गया है उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाता है। वेदों में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी।

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