धोबीसर्रा में जारी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ
सिवनी•Jan 04, 2019 / 11:56 am•
santosh dubey
प्रभु के स्मरण से होता है कष्टों का निवारण
सिवनी. जब भी कोई व्यक्ति सतमार्ग पर चलता है, तो उसे समाज की उपेक्षा रूपी जहर का पान करना पड़ता है और समाज कल्याण के लिए उसे उस विष को उसी तरह ग्रहण करना होता है जैसे भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से प्राप्त हुए हलाहल विष को स्वीकार किया था। उक्ताशय की बात चित्रकूट धाम से आए जागेश्वर देव महाराज ने ग्राम धोबीसर्रा में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ में श्रद्धालुजनों से कही।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक जीव प्रभु से अधिक भरोसा अपने पर या अपनों पर करता है तब तक वह कष्ट ही उठाता है। व्यक्ति आर्त स्वर से प्रभु को जबतक हीं पुकारता है, तब तक वह ईश्वर से दूर ही रहता है परंतु जैसे ही वह सच्चे मन से जगत से हट कर जगदीश को पुकारता है। प्रभु उसी क्षण उसके कष्टों का निवारण कर देते हैं। वर्तमान समय में आज का मनुष्य शांति की खोज में भटक रहा है। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी दार्शनिक मान्यताओं के अनुरूप ही उपायों का आश्रय लेता है। कामना पूर्ति से शान्ति आज का जीवन दर्शन बन गया है, परंतु यह ठीक नहीं है। एक कामना की पूर्ति असंभव होकर अशांति को ही जन्म देती है, जो अशांत है वह कभी सुखी नहीं हो सकता।
उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में देखा जाए तो हमारा शरीर, इन्द्रिय, मन, बुद्धि सब कुछ उसी विराट परमेश्वर के अवयव हैं। हम भूल से स्वयं को उन परमेश्वर भगवान से पृथक मानकर इन सबको अपना स्वयं का मान बैठे हैं। यह सब तो उनका ही है, उनको समर्पित भी क्या करें।