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डीइओ साहब को स्कूली बच्चों से ज्यादा पुरानी किताबों की फिक्र ! पढि़ए क्या है मामला

locationसिवनीPublished: Jul 17, 2019 12:02:58 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

कस्तूरबा प्राथमिक शाला के बच्चों को शिफ्ट करने का मामला

seoni

अफसरों ने भी माना यहां पढ़ाने में है जोखिम

सिवनी. कस्तूरबा प्राथमिक, माध्यमिक शाला की जर्जर हो चुकी इमारत से बच्चों को दो अलग-अलग स्कूल भवन में शिफ्ट किए जाने का आदेश डीपीसी ने जारी किया है। ताकि खतरे के साये में पढ़ रहे बच्चों को सुरक्षित छत मिल सके। इस आदेश के बाद कस्तूरबा माध्यमिक शाला के विद्यार्थियों को हड्डीगोदाम क्षेत्र के शासकीय शाला भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। जबकि तिलक हाइस्कूल प्राचार्य ने कस्तूरबा प्राथमिक शाला के बच्चों को बिठाने से इनकार कर दिया। इससे एक कदम आगे डीइओ जीएस बघेल ने भी कह दिया कि वहां के चार कमरों में किताबें भरी हैं, बच्चों को बिठाने के लिए डीपीसी को कोई और इंतजाम कर लेना चाहिए।
कस्तूरबा शासकीय प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक, शिक्षकों ने बताया कि उनको तिलक हाइस्कूल प्राचार्य दानिश अख्तर के द्वारा शाला संचालन की अनुमति प्रदान नहीं की गई। प्राचार्य का कहना है कि यहां चार कक्ष में किताबें हंै और कुछ कक्ष डिस्मेंटल होने हैं, इसलिए कस्तूरबा शाला के विद्यार्थियों को उपयुक्त स्थान दे पाना फिलहाल संभव नहीं है। हालांकि इसके लिए डीइओ को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है।
डीइओ जीएस बघेल ने कहा कि नि:शुल्क पुस्तक वितरण के लिए उक्त विद्यालय में रखी जाती रही हैं। जो किताबें वितरण से शेष रह जाती हैं, वहीं कक्ष में रखी जाती हैं। बीते कुछ वर्षों की किताबें भी वहीं रखी हुई हैं। इसलिए उन कक्ष को शिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। जब डीइओ से कहा गया कि कस्तूरबा शाला की जिस जर्जर बिल्डिंग में बच्चे पढ़ रहे हैं, वहां किताबें शिफ्ट करा दी जाएं, तो ये तिलक शाला के कक्ष खाली हो जाएंगे, यहां कस्तूरबा प्राथमिक शाला के बच्चों को बिठाया जा सकता है। इस बात के जबाव में डीइओ ने कहा कि वहां किताबें भीगेंगी, कबाडिय़ों से चोरी भी हो सकती हैं। इसलिए डीपीसी को प्रायमरी शाला के बच्चों के लिए कहीं और इंतजाम कर लेना चाहिए।
पांच साल में नगर पालिका नहीं तोड़ पाई बिल्डिंग –
मंगलीपेठ क्षेत्र में अम्बेडकर शासकीय प्राथमिक शाला की बिल्डिंग १९७६ में निर्मित हुई थी। यहां वर्ष २०१४ तक प्राथमिक शाला संचालित हुईं। इसी वर्ष क्षतिग्रस्त भवन से विद्यार्थियों को कस्तूरबा शाला में शिफ्ट किया गया था। तब ये यह क्षतिग्रस्त भवन खण्डहर जैसे हालात में खड़ा है। प्रधानपाठक, शिक्षक कई बार नगर पालिका में आवेदन देकर इस भवन को तोडऩे की मांग कर चुके हैं, लेकिन नगरीय प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा है। मांग है कि उक्त स्थान पर नया निर्माण किया जाए, तो समस्या दूर हो जाएगी। इस सम्बंध में मंगलवार को भी प्रधानपाठक ने सीएमओ से चर्चा कर ध्यान आकर्षित कराया है।
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