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गांव में निकाली मेंढक-मेंढकी की बारात

locationसिवनीPublished: Jul 16, 2019 12:28:49 pm

Submitted by:

mantosh singh

दोनों की कराई शादी,बारिश के लिए अनोखा अनुष्ठान

Broke of frog-frog

गांव में निकाली मेंढक-मेंढकी की बारात

सिवनी. मेंढक रानी पानी दे, धान, कोदो पकन दे इस कहावत को लेकर ग्राम चन्दौरी कला के ग्रामीणों ने बारात निकालकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराई। इस आयोजन के पीछे मान्यता है कि मेंढक-मेंढकी की शादी कराने से इंद्रदेव प्रसन्न हो जाते है। जिससे अच्छी बारिश होती है।
ग्राम चन्दौरी के ग्रामीणों ने ग्राम की ही पांच बच्चियों को लकड़ी पकड़ाया। जिसमें में दो मेंढक-मेंढकी को रस्सी के सहारे बांधा गया। इन पांचो बच्चियों की मय मूसर व मेंढक के साथ पूरे ग्रामीणों ने पहले पूजा-अर्चना की। इसके बाद ग्राम के घर-घर पहुंचकर बच्चियों ने अनाज मांगा। बताया जाता कि इन बच्चियों को ग्रामीणों द्वारा दिया हुआ अनाज को घर ले जाकर भोजन किया जाता है। बारात में ग्राम के बच्चे, युवा, वृद्घ, महिलाएं सहित सभी शामिल हुए। बारात के दौरान बच्चियों द्वारा मेंढक रानी पानी दे धान कोदो पकन दे के नारे भी लगाते रहे।
ग्राम से लेकर मंदिर पहुंचते तक ग्रामीणों द्वारा मूसर में बांधे गए मेंढक-मेंढकी को पानी भी पिलाते रहें। ताकि वे जिंदा रह सके और उनकी शादी हो सके। ग्रामीणों के अनुसार मेंढक को तरसा-तरसा कर पानी पिलाने के पीछे मान्यता है कि मेंढक जितना तड़पते हैं। भगवान इंद्र देव को उतना ही दर्द होता है। मेंढक की इस तड़पन को दूर करने के लिए भगवान इंद्रदेव बारिश करने लगते हैं। ग्रामीणों के अनुसार मूसर में मेंढक को बांधकर उनकी शादी कराने और अनुष्ठान करने से मूसलाधार बारिश होती है। मेंढक को मूसर में बांधने से जहां वह अधिक तड़पता है। वहीं उसे देखकर भगवान इंद्रदेव मूसलाधार बारिश करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में यह परपंरा सदियों से चली आ रही है।
जब भी भी बारिश नहीं होती है। उस वर्ष इस तरह का आयोजन किया जाता है। इसके पूर्व वर्ष 2008 में भी इसी तरह का आयोजन किया गया था। उस वर्ष भी दो माह तक लगातार तेज बारिश हुई थी।
इनका कहना है-
यह परपंरा ग्राम में सदियों से चली आ रही है। जिस वर्ष भी बारिश नहीं होती। उस वर्ष ग्राम के सभी लोग एकत्र होकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराते हैं। ऐसे आयोजन से निश्चिततौर पर इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और तेज बारिश होती है। वर्ष 2008 में भी इसी तरह का आयोजन किया गया था।
बसंत सिंह राजपूत, किसान-चन्दौरी कला
मेंढक को मूसर में बांधने और उसे तड़पाने से इंद्र देव को दर्द होता है। जिसके कारण वे मूसलाधार बारिश करते हैं। इसके लिए ग्रामीणों द्वारा पांच बच्चों को मूसर थमाया जाता है। मूसर में मेंढक बांधा जाता है। इसके बाद इनकी बारात निकाली जाती है। मंदिर में पहुंचकर अनुष्ठान किया जाता है।
रमाकांत सिंह ठाकुर, किसान-चन्दौरी कला
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