23 सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर
सिवनीPublished: Jul 16, 2019 11:30:13 am
शिक्षकों की लापरवाही से बेअसर हुआ स्कूल चलें अभियान
सिवनी. जनपद शिक्षा केंद्र छपारा के अंतर्गत 207 प्राइमरी सरकारी स्कूलों में से 23 स्कूलों में दर्ज संख्या इतनी कम है कि करीब 2३ स्कूल बंद होने की कगार पर आ गए हैं। बीआरसीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जनपद शिक्षा केंद्र के 23 स्कूल ऐसे हैं। जिनमें 10 विद्यार्थियों से कम की संख्या बची है।
छपारा ब्लॉक के संजय कॉलोनी स्थित सरकारी प्रायमरी स्कूल में एक भी बच्चा नहीं आ रहा है, यहां के शिक्षकों को दो अलग-अलग स्कूलों में संलग्न कर दिया गया है। इसी तरह घोघरी का मामला है जहां 2 शिक्षक हैं और दो ही बच्चे हैं। जिन्हें पढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा भारी-भरकम वेतन 2 शिक्षकों को दी जा रही है। स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है, एक निजी मकान पर स्कूल संचालित हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो प्रधान पाठक के ऊपर स्कूल में ध्यान नहीं देने के आरोप लग रहे हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि सरकार के द्वारा हर साल स्कूल चले अभियान जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहेे हैं। जिसमें सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए जन जागरूकता के नाम पर लाखों रुपए बैनर-पोस्टर इत्यादि में खर्च किए जाते हैं लेकिन उनका इन सरकारी स्कूलों में जरा भी कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं इन सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए सरकार के द्वारा गणवेश से लेकर मध्यान भोजन दिया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी इन विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल अच्छे नहीं लग रहे हैं। स्थिति यह है कि 23 स्कूलों में ताला लटकने की नौबत आ गई है। जिनमें 10 से लेकर दो-तीन तक की दर्ज संख्या बची है।
मिली जानकारी के मुताबिक छपारा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाली 23 प्राथमिक शालाओं में एक से दस दर्ज संख्या दिखाई जा रही है। जहाँ पर प्रत्येक शाला में कम से कम दो शिक्षक पदस्थ है और इनके हर महीने का वेतन अगर जोड़ा जाए तो 150 बच्चों पर अनुमानित 19 से 20 लाख रुपये वेतन के रूप में प्रत्येक महीने में दिया जाता है। अब प्रश्न ये उठता है कि इन 23 शालाओं में क्या वीआईआर सर्वे नही कराया गया। क्या इन ग्रामों में प्राथमिक पढ़ाई के लिए बच्चे ही नहीं हैं या फिर सरकार के ही कुछ अन्य कारण निहित हैं।
अब देखना ये है कि शासन द्वारा इन 23 स्कूलों को बंद या मर्ज कर दिया जाएगा या फिर 19 से 20 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन देकर कागजो में दर्ज संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। ग्रामीण जनों का आरोप है कि इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाने में कम रुचि रखते हैं। निजी काम, खेती बाड़ी और अन्य व्यवसाय में लगे हुए हैं जिस वजह से इन सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता है। यदि इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के आने-जाने के समय, शिक्षा के स्तर की जांच की जाए तो इन पर बड़ी कार्यवाही हो सकती है। सरकार से भारी भरकम मोटी पगार लेने वाले शिक्षकों की लापरवाही ने स्कूलों में ताला लटकाने की नौबत ला दिया है।
कम है दर्ज संख्या, शासन को दी रिपोर्ट –
जनपद शिक्षा केन्द्र अंतर्गत लगभग 23 स्कूलों की दर्ज संख्या को लेकर जानकारी से हमारे द्वारा शासन को अवगत कराया जा चुका है। इन स्कूलों के विषय मे निर्णय शासन को ही लेना है, जनपद स्तर पर हम भी प्रयास कर रहे हैं कि दर्ज संख्या में बढोत्तरी हो सके।
गोविंद उईके, बीआरसीसी छपारा