उसके बाद भी नंबर नहीं आया तो दिनभर भूखे-प्यासे रहने के बावजूद खाली लौट गई। जिससे उनको परेशानी का सामना करना पड़ा। उनको अब वापस अस्पताल आना पड़ेगा।
जिला अस्पताल में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मंगलवार को शिविर लगा। शिविर में डॉक्टर को दिखाकर सोनोग्राफी कराने महिलाएं सुबह से पहुंचना शुरू हो गई थी। सुबह 8 बजे बाद भीड़ इतनी थी कि डॉक्टर कक्ष के बाहर महिलाओं की लंबी कतार लग गई थी।
महिलाएं डॉक्टर को जल्दी दिखाने के चक्कर में प्रयास कर रही थी, जिनको काबू करने में गेट पर मौजूद कर्मचारी को पसीना आ गया। महिलाओं का काफी देर बाद नंबर नहीं आया तो नीचे फर्श पर बैठ गई थी।
इसमें जितनी महिलाओं की डॉक्टर जांच करती गई वह पर्ची बनाकर ट्रामा सेंटर स्थित कक्ष में सोनोग्राफी कराने पहुंची तो भीड़ के चलते यहां पर भी उनको तकलीफ उठाना पड़ी।
महिलाएं बोलीं- चल रही है मनमानी
शिविर में पहुंची महिलाओं ने आरोप लगाया कि सोनोग्राफी करने में डॉक्टर मनमानी कर रहे हैं। उनसे नंबर पूछने को जाते हैं, तो संतोषजनक जवाब देने के बजाय चलता कर देते हैं।
कई को सोमवार के दिन आने का समय दिया है। महिलाओं ने कहा कि बाहर सोनोग्राफी कराते हैं तो ज्यादा खर्च आता है, उतनी राशि नहीं दे सकते हैं। जिससे अस्पताल में खड़े हैं।
गर्भवती और रोशनी क्लीनिक में इलाज करा रही महिलाओं को मिलाकर 415 महिलाएं शिविर में पहुंची थी।इसमें सुबह 8 से शाम 4 बजे तक सिर्फ 100 महिलाओं की ही सोनोग्राफी हो सकी। जबकि 315 महिलाएं घंटों इंतजार के बाद खाली लौट गई। इसमें वह महिलाएं थी जो 70 किमी दूर से परिजन के साथ आई थी।
70 किमी दूर से सोनोग्राफी कराने जिला अस्पताल में सुबह 7 बजे पहुंच गई थी। उसके बावजूद नंबर तक नहीं मिला जिससे सोनोग्राफी नहीं होगी। अब 5 दिन बाद आने का कह रहे हैं।
शकुंतला पूर्बिया, गांव बावनखेड़ा, शुजालपुर
– वर्षा चौहान, गांव संग्रामपुर
घर पर बच्चे को छोड़कर सोमवार से अस्पताल में भर्ती हूं और आज सुबह से ही सोनोग्राफी कराने पहुंच गई थी। यहां भीड़ होने के कारण सोनोग्राफी होना मुश्किल है।
– मर्जिना बी, गांव गुड़भेला नापली
प्रयास करते हैं
हर महीने की 9 तारीख को सोनोग्राफी करने का दिन फिक्स है। इसमें प्राइवेट डॉक्टर आते हैं। हमारा प्रयास रहता है कि ज्यादा सोनोग्राफी हो। फिर भी 100 से ज्यादा नहीं कर सकते।
– डॉ. नितिन पटेल, सोनोग्राफी प्रभारी जिला अस्पताल सीहोर