यह बात गांव झिलेला में चल रही श्रीमद भागवत कथा में पंडित घनश्याम शर्मा ने कहीं। शर्मा ने भगवान कृ ष्ण के आविर्भाव को लेकर विस्तार से श्रद्धालुओं को का ज्ञानवर्धन किया। साथ ही कथा में किस प्रकार से आठवें अवतार के रूप में प्रभु श्रीकृ ष्ण ने लोक के कल्याण के लिए धरा धाम पर आने का लीला सूत्रपात किया इस पर भी जानकारी दी। कथा में नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जय घोष की गूंज भी सुनाई दी। वहीं माखन मिश्री के प्रसादी वितरण के साथ प्रभु को मस्तक पर रखकर सभी ने चरण वंदना की।
कथावाचक ने कहा कि संसार के दुष्चक्र के भेदन के लिए भगवान कृ ष्ण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार की लहर उत्पन्न करने के लिए हर घर में श्रीमद भागवत कथा का प्रचार प्रसार होना चाहिए। कथा के सूत्रों का चिंतन होना चाहिए। रामायण की चौपाइयों पर मंदिरों में चर्चा होनी चाहिए, जिससे नई पीढ़ी को एक नई दिशा और राह प्राप्त हो सकें। आज के समय की आवश्यकता को देखते हुए संसार जो कि दुखों का सागर है इससे पार उतरने के लिए एकमात्र सहारा भगवत भक्ति का है।
भागवत कथा का श्रीगणेश…
सीहोर. जीवन में सुख और दुख आते जाते है। इनको लेकर कभी परेशान नहीं होना चाहिए। हम जैसा बीज बोएंगे वैसा ही पौधा उत्पन्न होगा। संस्कार ही सबसे बड़ी पूंजी है। आज का समाज आधुनिकता की अंधी दौड़ में उसके पीछे भागा चला जा रहा है। बड़े बुजुर्गों में जो संस्कार रहेंगे वही आने वाली पीढ़ी में भी आएंगे। यह बात शहर के छावनी स्थित कुइया गार्डन में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के प्रथम दिन भागवत भूषण पंडित संजय कृ ष्ण त्रिवेदी ने कही। रविवार को आयोजित भागवत कथा के प्रथम दिन बड़ा बाजार स्थित भगवान सत्यनारायण मंदिर से शोभा यात्रा निकाली गई जो प्रमुख मार्गों से होते हुए कथा स्थल पहुंची।