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चंद्रमा की किरणों के जैसा गुरुओं ने फैलाया प्रकाश

locationसीहोरPublished: Jul 27, 2018 12:33:42 pm

शिष्यों के जीवन में फैला रहे उजियारा…

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चंद्रमा की किरणों के जैसा गुरुओं ने फैलाया प्रकाश

सीहोर। जगत में गुरु का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। जन्म देने वाली माता और पालन करने वाले पिता के बाद सुसंस्कृत बनाने वाले गुरु का ही स्थान है। गुरु अपने शिष्यों को तारने का काम कर ही रहे हैं। इसके अलावा सीहोर के कुछ अध्यापक छात्रों को ज्ञान का प्रकाश देने के साथ ही अपने स्तर पर कुछ ऐसे काम कर रहे हैं, जो अन्य लोगों के लिए नजीर बन सके।

बच्चों के मन से उडऩ-छू हो गया अंग्रेजी का भूत…
शासकीय स्कूलों में अध्ययन करने वाले बच्चों में अधिकतर अंग्रेजी विषय का डर भूत बनकर डराता है। ज्यादातर बच्चे इस विषय में कमजोर नजर आते है। इसी के चलते शासकीय माध्ममिक शाला कोडियाछीतू में पदस्थ अध्यापक संजय सक्सेना ने चार पेज मार्गदर्शिका तैयार की है।

इस पुस्तक के माध्यम से कठिन अंग्रेजी विषय बच्चों के लिए एक दम आसान हो गया है। खेल-खेल में बच्चों के मन से अंग्रेजी के भूत भाग गया है। जल्द ही यह पुस्तक जिले के सभी शासकीय विद्यालयों में भी नजर आएगी।
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संस्कृत में बच्चा-बच्चा बन रहा विद्वान…
संस्कृत एक ऐसा विषय जिसका हर एक शब्द अच्छे-अच्छे विद्वानों की समझ से परे है। लेकिन ग्राम सेमली जदीद में एक हाईस्कूल ऐसा भी है, जहां शिक्षक नरेश मेवाड़ा लगन और मेहनत की बदौलत हर विद्यार्थी संस्कृत बहते पानी की तरह पढ़कर बोलता है।
सभी विद्यार्थी संस्कृत विषय में विद्वान बनते जा रहे है। 10वीं, 12वीं परीक्षा परिणाम के दौरान सभी छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम शतप्रतिशत रहा।

निजी स्कूल में नहीं, सरकारी स्कूल में जाते हैं बच्चे…
सरकारी स्कूलों में कई अव्यवस्थाओं की शिकायतें हमेशा बनी रहती हैं, लेकिन एक शिक्षक ने स्कूल की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। जी हां हम बात कर रहे हैं नसरूल्लागंज के ग्राम नाहर खेड़ा में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला की, जो किसी निजी स्कूल से कम नहीं है।
यहां शिक्षक सूरज पंवार ने स्वयं के खर्च और जनभागीदारी से स्कूल की सूरत ही बदल कर रख दी। स्वच्छता अभियान का उदाहरण भी इस स्कूल में देखने को मिलता है। गांव के अधिकतर बच्चे निजी स्कूलों में न जाते हुए सरकारी स्कूल की तरफ ही आकर्षित है।
अनुशासन की शुरूआत ‘तुम’ से नहीं ‘मैं’ से…
हर कोई दूसरे से बदलाव की उम्मीद रखता है। हांज् अगर इसकी शुरूआत मैं से हो तो यह प्रयास पूरी तरह सार्थक है। आष्टा ब्लॉक के कचनारिया गांव में पदस्थ शिक्षक विक्रम सिंह मेवाड़ा, अंतर सिंह, कमल सिंह और शेख जुबेर स्कूल में ड्रेस पहन कर आते हैं।
इसी का परिणाम है कि स्कूल का कोई भी बच्चा यह नियम नहीं तोड़ता। शिक्षा को लेकर भी शिक्षकों ने नियम बनाए है। यह नियम पहले शिक्षक अपनाते है। इसके बाद बच्चों को भी प्रेरित करते है।

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