जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार ने ने साल 2018 में सोयाबीन का समर्थन भाव 3399 और मॉडल रेट 500 निर्धारित किया था। इसी तरह मक्का का समर्थन भाव 1700 और मॉडल रेट 500 था। इसमें किसान की उपज जिस भाव में बिकी उसमें 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से राशि जोड़कर देना था। योजना मेें जिले में 20 अक्टूबर से खरीदी शुरू होकर 19 जनवरी तक चला था। जिसमें 85 हजार 658 पंजीकृत किसानों ने सोयाबीन और 6 हजार 400 ने मक्का की उपज बेची थी। इसमें किसानों को शेष राशि तो मिल गई, लेकिन 500 रुपए की राशि नहीं मिली है। योजना में किसानों के सोयाबीन उपजके 55 करोड़ 53 लाख और मक्का के 8 करोड़ 86 लाख 26 हजार 500 रुपए नहीं मिले हैं।
केन्द्र सरकार ने प्रदेश को नहीं दिया अपना हिस्सा
राशि का समय पर भुगतान नहीं होने को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के किसानों की भावांतरण योजना की राशि उनके बैंक खाते में जमा नहीं की जा रही है, जिससे किसानों में भारी रोष व्याप्त है। मध्यप्रदेश के मध्यमवर्गीय किसानों का खेती करना मुश्किल हो गया है, जबकि राज्य सरकार अपने अंश की राशि किसानों को देने तैयार है। केन्द्र सरकार से राशि का भुगतान नहीं हो पाने और प्रदेश के किसानों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के कारण लोग परेशान हैं। एसडीएम को ज्ञापन देने वालों में सहकारी नेता अभय मेहता, मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरगोविन्द सिंह दरबार, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अनार सिंह ठाकुर, पार्षद सुनील चांडक आदि शामिल हैं।
कितने किसानों ने बेची जिले में उपज
किसानों को उपज का पर्याप्त भाव दिलाने शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना भाजपा सरकार बदलते ही अनदेखी की भेंट चढ़ गई है। योजना में 92 हजार किसानों को उपज बेचने के बाद मिलने वाली मॉडल रेट की 63 करोड़ रुपए की राशि अधर में अटक गई है। इस राशि को लेकर वह आए दिन बैंक, मंडी दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन भावांतर की राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है।