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हैंडपंपों ने तोड़ा दम, पेयजल के लिए एक किमी दूर खेतों पर जाना मजबूरी

locationसीहोरPublished: Feb 19, 2019 11:31:28 am

Submitted by:

Radheshyam Rai

फरवरी माह में ही सूखे जल स्रोत, बूंद-बूंद के लिए मशक्कत शुरू

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हैंडपंपों ने तोड़ा दम, पेयजल के लिए एक किमी दूर खेतों पर जाना मजबूरी

सीहोर. पानी को लेकर गांव में मशक्कत का दौर शुरू हो गया है। अल सुबह से ही छोटे बच्चे से लेकर महिला और पुरुष पानी की जुगत में जुट जाते हैं जो दोपहर तक लगे रहते हैं फिर भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे उनके कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। साथ मे अन्य परेशानियां भी अलग भुगतना पड़ रही हैं।

इछावर ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांव जल संकट की इस त्रासदी से जूझ रहे हैं। फरवरी माह में ही ग्रामीण जल संकट से जूझने लगेे हैं, जबकि जबकि अभी गर्मी का पूरा मौसम बाकी है। अल्प वर्षा के चलते जल संकट की स्थिति बनना तय थी इसमें यह किसी ने नहीं सोचा था कि यह संकट सर्दी के मौसम में ही आ जाएगा। जनवरी, फरवरी माह में ही कई गांव में स्थित यह बन गई है कि हैंडपंप ट्यूबेलों का पानी पाताल नापने लगा और अन्य जलस्रोतों ने भी जवाब दे दिया। इस कारण लोगों को एक किलोमीटर दूर खेतों से पानी लाकर काम चलाना पड़ रहा है।

फिर भी उनको पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। ब्लॉक के ग्राम मुवाड़ा, सेमली जदीद, पांगरी जंगल, खेजड़ा, ढाबलामाता, राजपुरा, टाकपुरा आदि में जल संकट की स्थिति है। खेजड़ा और मुवाड़ा स्थिति यह है कि अधिकांश हैंडपंप बंद हो चुके हैं गांव की आबादी निजी ट्यूबवेलों पर ही आश्रित होकर रह गई है। ग्रामीणों का कहना है कि वैकल्पिक जलस्रोतों को समय रहते तलाश की जाए नहीं तो स्थिति बेकाबू भी हो सकती है।

अभी फरवरी माह भी पूरा नहीं हुआ है और जल संकट शुरू हो गया है, तो आगामी दिनों में क्या होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है, जबकि अभी पूरा गर्मी का मौसम बाकी है। वहीं बारिश के मौसम में पांच माह से भी अधिक समय बचा हुआ है लोगों ने बताया कि इस समस्या को लेकर हमने अफसरों और जनप्रतिनिाियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी ओर से फिर भी कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

पानी के लिए दिनभर कर रहे मशक्कत
गांव की नल-जल योजना के बंद होने से नलों में पानी नहीं आ रहा है। उस पर फरवरी माह में ही हैंडपंपों की भी सांसे फूलने लगी हैं। ऐसे में महिलाओं और बच्चों को जहां हैंडपंपों पर एक-एक कुप्पे के लिए घंटों इंतजार करना पड ऱहा है। वहीं दूसरी ओर पुरुष खेतों से साइकिलों के माध्यम से पानी के लिए दिनभर मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फरवरी माह में ही यह हाल हैं तो आने वाले गर्मी के मौसम में क्या हालात होंगे। यह सोंचकर ही अभी से घबराहट होने की है।

गांव के तालाब सूखने से गहराया संकट
कई गांव में हाल यह हैं कि तालाब और नदी पूरी तरह सूख चुके हैं इसमें मवेशियों तक को पानी पिलाने के लिए नहीं मिल रहा। पांगरी जंगल की तलाई, ग्राम मुवाड़ा का मडिया डेम, गांव के पास स्थित घोड़ा पछाड़ नदी, खेजड़ा स्थित नदी सूख चुके हैं। आगामी माह में पेयजल संकट की भयावह स्थिति निर्मित हो सकती है। फिलहाल जलसंकट से गुजर रहे ग्रामीणों को कोई राहत पंचायतों की ओर से नहीं मिल रही है और लोग पीने के पानी को अभी से तरसने लगे हैं।

 

गांव में पेयजल समस्या को लेकर पीएचई विभाग को पिछले साल भी तीन बार प्रस्ताव दे चुके थे। इस साल भी समाधान के लिए प्रस्ताव दे दिया है।
इमरत कटारिया, सरपंच, ग्राम पंचायत बावडिय़ा नोआबाद
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