ऐनेस्थेसिया को लगाया डयूटी पर
शासन ने सिविल अस्पताल के कायाकल्प के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। भवन को सुसज्जित तरीके से बनाने के साथ ही सभी तरह की सुविधाएं जुटाई जा रही है। उसके बावजूद मरीज समस्या का दंश भोग रहे हैं, इसमें उनको कई डॉक्टरों की लापरवाही का खामियाजा भुगताना पड़ रहा है। बीती रात ऐसा ही एक मामला सामने आया। शहर के राठौर मंदिर के पास रहने वाले राजेश सोनी को पेट संबंधी तकलीफ होने पर परिजन अस्पताल लेकर आए। इस दौरान एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉक्टर सुदर्शन ग्रेवाल ड्यूटी पर थे।
मना कर दिया इलाज से
परिजन का आरोप है कि ड्यूटी डॉक्टर के पास मरीज को लेकर गए तो उनका कहना था कि वह सिर्फ मरीज को बेहोश कर सकते हैं। बाकी दूसरी चीजों का नॉलेज नहीं है। मरीज की हालत बिगड़ती देख परिजन ने डॉक्टर से इलाज करने गुहार लगाई, लेकिन टालते रहे। डॉक्टर ने कहा कि दवाई लिख दी है वहीं खिलाओ। यह बात सुनने के बाद मजबूरी में उनको निजी अस्पताल ले जाकर इलाज कराना पड़ा।
नशे में ड्यूटी करने का आरोप
मरीज के साथ आए परिजन अजय टेलर का आरोप है कि ड्यूटी डॉक्टर से बात करने के दौरान लग रहा था कि वह (ड्रिंक पीकर) नशे में थे। जिस जिम्मेदारी को निर्वहन करना चाहिए था, उसका नहीं किया। डॉक्टर की लापरवाही पर परिजन का गुस्सा भड़का और हंगामा कर आक्रोश जाहिर करने लगे। एसडीएम और बीएमओ को भी फोन लगाकर सूचना दी। करीब आधे घंटे बाद बीएमओ डॉक्टर प्रवीर गुप्ता अस्पताल पहुंचे। बीएमओ ने परिजन से चर्चा की। वहीं ड्यूटी डॉक्टर को जमकर फटकार लगाई।
गुना, रायसेन होते तो खड़े नहीं हो सकते थे
बीएमओ गुप्ता ने ड्यूटी डॉक्टर से पूछा कि आप एनेस्थेशिया के डॉक्टर हैं। नाईट डयूटी पर हो तो एमरजेंसी में अन्य बीमारी का मरीज आएगा तो उसे नहीं देखेंगे क्या। गुना, रायसेन में होते तो खड़े भी नहीं रह सकते थे। आष्टा की जनता अच्छी है कि इतना कुछ होने के बाद भी बर्दाश्त कर लेती है। डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। करीब डेढ़ घंटे तक रात साढ़े १२ बजे तक इस तरह से चलता रहा। बीएमओ के आश्वासन के बाद परिजन का गुस्सा शांत हुआ।
नहीं थम रही लापरवाही
अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। महिला डॉक्टर पर इलाज के बदले रुपए मांगने के आरोप लग चुके हैं। इसके बावजूद व्यवस्था में बदलाव होने का नाम नहीं ले रहा है। अस्पताल वैसे ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। जितने डॉक्टर हैं, उनमें से भी कुछ मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हंै। उल्लेखनीय है कि अस्पताल में पूरे ब्लॉक के मरीज इलाज कराने आते हैं। सड़क दुर्घटनों में हुए घायलों को भी यही लाया जाता है।
इलाज करने में टाल मटोल
अस्पताल में मरीज को लाने के बाद डॉक्टर ने इलाज करने पर ध्यान नहीं दिया। उल्टा टाल मटोल की। इसके चलते समय पर इलाज नहीं मिल सका। दूसरी अस्पताल ले जाना पड़ा।
अंकित सोनी, मरीज के परिजन
नशे में था डॉक्टर
डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन जिस तरह से करना चाहिए, उस तरह से नहीं किया है। इलाज करने की बजाए उनका कहना था कि वह मरीज को सिर्फ बेहोश कर सकते हैं।
अजय टेलर, मरीज के परिजन