पुरातत्व विभाग के देवबड़ला इंचार्ज कुंवर विजेंद्रसिंह भाटी ने बताया कि देवबड़ला को विंध्याचल पहाड़ी का नाभी स्थल भी माना जाता है। यहां भगवान भोलेनाथ का एक मंदिर पहले से ही मौजूद होने के साथ दो कुंड हैं। एक कुंड प्राचीन है, जबकि दूसरे कुंड को करीब 45 साल पहले खोदकर तैयार किया था। इसी कुंड के पानी से अमावस्या के अलावा अन्य त्योहारों पर श्रद्धालु स्नान करते हंै। आम दिनों में हर दिन 200, अमावस्या व सावन के महीने में 1000 और महाशिवरात्रि पर करीब एक लाख श्रद्धालु आते हैं। लगातार श्रद्धालुओं की संख्या से यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है।
देवबड़ला में जल्द संग्रहालय बनाकर उसमें खुदाई में मिली सभी प्रतिमाओं को सहेजकर रखा जाएगा। जिससे कि यदि कोई आया तो वह प्रतिमाओं को देख आसानी से इसकी जानकारी प्राप्त सकें। पुरातत्व अधिकारी डॉ. रामेश यादव व जीपीसिंह चौहान के नेतृत्व में लगातार देवबड़ला पर कायाकल्प करने का काम चल रहा है। अभी जरूर बारिश की वजह से खुदाई कार्य बंद है, लेकिन बारिश का मौसम समाप्त होते ही चालू हो जाएगा।
देवबड़ला से नेवज नदी का उद्गम हुआ है। जमीन से 332 फीट ऊंचे पहाड़ से पानी नीचे गिरता है। यह नदी में प्रवाहित होकर आगे बढ़ता चला जाता है। उद्गम स्थल से 12 किमी दूर मेहतवाड़ा में नदी अपने आप 414 फीट नीचे बहना शुरू हो जाती है। मुरावर में नेवज नदी में दूधी नदी का संगम (मिलन) हुआ है। नदी शाजापुर,राजगढ़ होते हुए राजस्थान की परवान नदी में मिली है। नदी में पानी रहने से आसपास गांव के किसान सिंचाई करते हैं तो दो हजार से अधिक जलस्त्रोत (कुएं,बावड़ी, हैंडपंप, ट्यूबवेल) का जलस्तर बना रहता है।
भोपाल-इंदौर हाईवे से देवबड़ला पहुंचने के लिए दो रास्ते से प्रमुख हैं। पहला मेहतवाड़ा, बीलपान व दूसरा रास्ता सिलवानी, चौबारा, भरकुंड हैं। मेहतवाड़ा से देवबड़ला की दूरी 15 किमी व सिलवानी मार्ग से पहुंचेंगे तो करीब 16 किमी का सफर तय करना पड़ेगा। अधिकांश श्रद्धालु मेहतवाड़ा से होकर ही देवबड़ला आना जाना करते हैं।
– घने जंगल में हरे भरे वातावरण के बीच होने से लोग बहुत शांति महसूस करते।
– भगवान भोलेनाथ दर्शन करने के साथ प्रकृति का अद्भुत दृश्य भी देखने मिलता।
– अमावस्या, सावन महीने, महाशिवरात्रि पर ज्यादा आते हैं श्रद्धालु।
– महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेला भी लगता है।
ओंकरसिंह भगतजी, अध्यक्ष देवबड़ला प्रबंधन समिति
कुंवर विजेंद्रसिंह भाटी, इंचार्ज पुरातत्व विभाग देवबड़ला