scriptपहाडिय़ों पर हरियाली से घिरा प्राचीन देवबड़ला, जो एक बार आया उसी को भाया | Devbadla: 12 temples were found in the excavation, construction of one | Patrika News
सीहोर

पहाडिय़ों पर हरियाली से घिरा प्राचीन देवबड़ला, जो एक बार आया उसी को भाया

खुदाई में मिले 14 मंदिर, एक का निर्माण हुआ पूरा, सावन में पहुंच रहे श्रद्धालु

सीहोरJul 17, 2023 / 12:54 am

Sumeet Pandey

पहाडिय़ों पर हरियाली से घिरा प्राचीन देवबड़ला, जो एक बार आया उसी को भाया

देवबड़ला

सीहोर.देवास जिले की सीमा से महज पौने एक किमी दूर और सीहोर जिले की अंतिम बाऊंड्री पर मौजूद जावर तहसील क्षेत्र में आने वाला देवबड़ला प्रसिद्ध होने के साथ एक प्राचीन धरोहर है। पहाड़ी पर हरियाली के बीच मौजूद इस स्थान पर एक बार कोई आया उसका मन हर बार आने का करता है। इस धरोहर को पुरातत्व विभाग में शामिल कर विभाग ने साल 2016 में खुदाई कार्य शुरू किया। खुदाई में 11वीं व 12वीं शताब्दी के परमारकालीन मंदिर व प्रतिमा निकलना प्रारंभ हुई तो हर कोई अचंभित हो गया।

पहाडिय़ों पर हरियाली से घिरा प्राचीन देवबड़ला, जो एक बार आया उसी को भाया
पुरातत्व विभाग की माने खुदाई में अब तक 14 मंदिर मिले हैं। इनमें शिव मंदिर, विष्णु मंदिर,गौरी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर,उमा महेश्वर, गौरी सोमनाथ, भैरव, चामुंडा, महादेव मंदिर सहित अन्य शामिल हैं। जिनमें से भगवान भोलेनाथ के अलावा अन्य देवी देवताओं की 60 से अधिक प्रतिमा मिली है। इन प्रतिमाओं को सुरक्षित स्थान पर रखने के बाद शिव मंदिर का कार्य प्रारंभ हुआ, जो बनकर तैयार हो गया है। अब दूसरे भगवान विष्णु मंदिर को बनाने का काम जोरशोर से चल रहा है और यह अब तक शिखर तक पहुंचा है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक मंदिर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।

विंध्याचल पहाड़ी का नाभी स्थल
पुरातत्व विभाग के देवबड़ला इंचार्ज कुंवर विजेंद्रसिंह भाटी ने बताया कि देवबड़ला को विंध्याचल पहाड़ी का नाभी स्थल भी माना जाता है। यहां भगवान भोलेनाथ का एक मंदिर पहले से ही मौजूद होने के साथ दो कुंड हैं। एक कुंड प्राचीन है, जबकि दूसरे कुंड को करीब 45 साल पहले खोदकर तैयार किया था। इसी कुंड के पानी से अमावस्या के अलावा अन्य त्योहारों पर श्रद्धालु स्नान करते हंै। आम दिनों में हर दिन 200, अमावस्या व सावन के महीने में 1000 और महाशिवरात्रि पर करीब एक लाख श्रद्धालु आते हैं। लगातार श्रद्धालुओं की संख्या से यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है।

संग्रहालय में रखी जाएगी प्रतिमा
देवबड़ला में जल्द संग्रहालय बनाकर उसमें खुदाई में मिली सभी प्रतिमाओं को सहेजकर रखा जाएगा। जिससे कि यदि कोई आया तो वह प्रतिमाओं को देख आसानी से इसकी जानकारी प्राप्त सकें। पुरातत्व अधिकारी डॉ. रामेश यादव व जीपीसिंह चौहान के नेतृत्व में लगातार देवबड़ला पर कायाकल्प करने का काम चल रहा है। अभी जरूर बारिश की वजह से खुदाई कार्य बंद है, लेकिन बारिश का मौसम समाप्त होते ही चालू हो जाएगा।

नेवज नदी का उद्गम स्थल
देवबड़ला से नेवज नदी का उद्गम हुआ है। जमीन से 332 फीट ऊंचे पहाड़ से पानी नीचे गिरता है। यह नदी में प्रवाहित होकर आगे बढ़ता चला जाता है। उद्गम स्थल से 12 किमी दूर मेहतवाड़ा में नदी अपने आप 414 फीट नीचे बहना शुरू हो जाती है। मुरावर में नेवज नदी में दूधी नदी का संगम (मिलन) हुआ है। नदी शाजापुर,राजगढ़ होते हुए राजस्थान की परवान नदी में मिली है। नदी में पानी रहने से आसपास गांव के किसान सिंचाई करते हैं तो दो हजार से अधिक जलस्त्रोत (कुएं,बावड़ी, हैंडपंप, ट्यूबवेल) का जलस्तर बना रहता है।

दो स्थान से पहुंच सकते हैं
भोपाल-इंदौर हाईवे से देवबड़ला पहुंचने के लिए दो रास्ते से प्रमुख हैं। पहला मेहतवाड़ा, बीलपान व दूसरा रास्ता सिलवानी, चौबारा, भरकुंड हैं। मेहतवाड़ा से देवबड़ला की दूरी 15 किमी व सिलवानी मार्ग से पहुंचेंगे तो करीब 16 किमी का सफर तय करना पड़ेगा। अधिकांश श्रद्धालु मेहतवाड़ा से होकर ही देवबड़ला आना जाना करते हैं।

एक नजर में जाने क्यों है खास देवबड़ला
– घने जंगल में हरे भरे वातावरण के बीच होने से लोग बहुत शांति महसूस करते।
– भगवान भोलेनाथ दर्शन करने के साथ प्रकृति का अद्भुत दृश्य भी देखने मिलता।
– अमावस्या, सावन महीने, महाशिवरात्रि पर ज्यादा आते हैं श्रद्धालु।
– महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेला भी लगता है।

देवबड़ला
देवबड़ला हमारे जिला ही नहीं प्रदेश को एक धरोहर के रूप में मिला है। पुरातत्व विभाग की खुदाई में मंदिर, प्रतिमा मिली है। एक मंदिर बन गया है, जबकि दूसरे का काम चल रहा है। इस स्थान का कायाकल्प होने के बाद स्वरूप ही बदल जाएगा।
ओंकरसिंह भगतजी, अध्यक्ष देवबड़ला प्रबंधन समिति

देवबड़ला
सात साल पहले शुरू हुई खुदाई में अब तक 14 विभिन्न देवी, देवताओं के मंदिर और 60 से अधिक प्रतिमाएं मिली हैं। मंदिर बनाने का काम चल रहा है और प्रतिमाओं को सुरक्षित रख दिया है। जल्द ही संग्रहालय में इन सभी प्रतिमाओं को रखा जाएगा।
कुंवर विजेंद्रसिंह भाटी, इंचार्ज पुरातत्व विभाग देवबड़ला

Hindi News/ Sehore / पहाडिय़ों पर हरियाली से घिरा प्राचीन देवबड़ला, जो एक बार आया उसी को भाया

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो