श्राद्ध कर्म होंगे
पक्ष के आखिरी दिन वो वापस अपने लोक लौट जाते हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष ६ सितंबर से शुरू हो रहा है, जो कि 19 सितंबर तक रहेगा। 16 दिनों का होने वाला ये पक्ष इस बार भी 15 दिनों का ही रहेगा। पक्ष पूर्णिमा वाले दिन से शुरू होता है, जो अमावस्या को समाप्त होता है।अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि श्रद्धा से किया जाने वाला वो सभी कार्य जो पितरों के लिए किया जाता है वह श्राद्ध कर्म कहा जाता है।
ऋण चुकता करना होते हैं
श्राद्ध करना ही पितरों के लिए यज्ञ कहा गया है। शास्त्रों में मनुष्य के लिए तीन प्रकार के ऋ ण की चर्चा की गई है, जिसमें पितृ ऋ ण को विशेष स्थान दिया गया है। पितृ-ऋ ण से पार पाने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म ही एकमात्र पद्धति है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ ऋ ण सभी कामनाओं को तृप्त करते हैं। इस साल पितृपक्ष श्राद्ध ६ सितंबर से शुरू हो रहे हैं, जो आगामी १९ सिंतबर तक चलेंगे। प्रात: काल जल अर्पण करेंगे। पितृलोक प्रसन्न होते हैं। परेशानियों को दूर करते हैं।
यह है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।