नासा ने किया दावा! चांद की परत में छिपे हैं सूर्य के कई राज 2009 में आज ही के दिन भारत सहित विश्व की कई जगहें पर पृथ्वी ‘द मॉन्स्टर’ सूर्य ग्रहण के साए में थी। यह सूर्य ग्रहण गुजरात Gujrat के शहर सूरत Surat , बिहार Bihar की राजधानी पटना Patna , वाराणसी Varanasi , कुरुक्षेत्र Kurukshetra , इलाहाबाद, बड़ोदरा, इंदौर, भोपाल Bhopal , दार्जिलिंग, डिब्रूगढ़, भूटान और बांग्लादेश में सबसे पहले देखा गया।
पूरा विश्व इस सूर्य ग्रहण को लेकर काफी उत्साहित था। जब पूरी सृष्टि को प्रकाश देने वाला सूर्य खुद चांद के आंचल में छुप जाए, ऐसा नजारा लोगों को करीब 123 साल बाद देखने को मिला था।
ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने किया प्रयोग, अब तारकोल नहीं कचरे से बनेगी सड़कें इस विशाल सूर्य ग्रहण का नाम ‘द मॉन्स्टर’ अमरीकी वैज्ञानिकों ने रखा था। जर्मन ट्रैवल एजेंसी एक्लिप्स सिटी के फेडेरिको वार्ड मायर का कहना है यह एक मील का पत्थर है, हम में से कोई तब तक दोबारा इस घटना को देखने के लिए शायद ही जिंदा रहे।
International Yoga Day: योग के बारे में वैज्ञानिकों का खुलासा, बर्फीली चोटियों और तपते रेगस्तिान में भी ऐसे देता है फायदा आमतौर पर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की अवधि कुछ समय के लिए ही रहती है, लेकिन द मॉन्स्टर सूर्य ग्रहण की समयावधि साढ़े 3 घंटे से भी ज्यादा की रही।
भारत और चीन जैसे देशों में सूर्य ग्रहण का अधिक महत्व है, भारत में सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करना अच्छा माना जाता है, वहीं चीन में सूर्य ग्रहण को तबाही का संकेत समझा गया है।
सूर्य की किरणों से हो सकता हैं स्किन कैंसर, शोध में हुआ खुलासा सूर्य की परिक्रमा के दौरान सभी ग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी और चांद भी चक्कर लगाते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से चांद गुजरता है, तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी रुक-रुककर आती है जिसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। एेसा वाकया लोग को हैरान कर देता है, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा और पृथ्वी अपनी ऑर्बिट यानी कक्षा में लगातार परिक्रमा कर रहे होते हैं।