ये भी पढ़ें- बॉलीवुड में नाकामयाब हुए इस एक्टर के पास हैं ऐसी महंगी कारें, जिन्हें खरीदने का सपना आज भी सलमान खान देखते हैं
क्या है योजना
मालूम हो ये ऑबजेक्ट कई कई किलोमीटर बड़े होते हैं और तीन करोड़ मील दूर से धरती पर आकर गिरते हैं, इससे बड़े से बड़ा क्षेत्र तबाह हो जाता है और जान माल की काफी हानि होती है। इसलिए नासा ने मॉड्स ऑपरेंडी नामक प्रोजेक्ट तैयार किया है जिससे ऐसे हमलों की जानकारी पहले ही मिल सकेगी। इसके तहत नासा ने २० पृष्ठों की एक योजना तैयार की है जिसका नाम ‘नेशनल नियर अर्थ ऑब्जेक्ट प्रीपेयरडनेस स्ट्रेटजी एंड एक्शन प्लान’ रखा गया है। इस प्रोजेक्ट की सफलता पर तय हो पाएगा कि बाहर तत्वों से हमले से बचने के लिए किस तरह की योजना बनेगी। संभव है कि अगले दस सालों में यह योजना फलीभूत हो जाए और धरती बाहरी हमलों से सुरक्षित हो जाए।
ये भी पढ़ें- 1 बार चार्ज होकर 400 किमी दौड़ेगी ये इलेक्ट्रिक बाइक, बिना चाबी के भी हो जाएगी स्टार्ट
नासा के प्लेटिनरी डिफेंस अधिकारी लिंडले जॉनसन ने कहा कि हालांकि अमेरिका के पास ऐसी तैयारी पहले से ही है लेकिन वो चाहता है कि दूसरे देश भी ऐसे हमलों के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि ग्राउंड टेलीस्कोप यूं तो एस्टोरायड को आसानी से पहचान कर चिहिन्त कर लेते हैं लेकिन जो चट्टानें और पुच्छल तारों के टुकड़े पहले से टूट चुके होते हैं उन पर फोकस करना मुश्किल होता है। वो अंतरिक्ष में यहां वहां घूमकर सौर मंडल से बाहर आ जाते हैं और धरती और उस जैसे ग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं जिसे रोकना है हमारा पहला मकसद है। जून में नेशनल स्पेस काउंसिल की मीटिंग हुई थी जिसमें नासा ने इस संबंध में एक एक्शन प्लान साझा किया था।