पिछले हफ्ते चीन चांद के अनछुए हिस्से पर पहुंचकर अपने मिशन में आगे बढ़ा है। भविष्य में इसी से पता चलेगा कि अंतरिक्ष में कौन कितना ताकतवर है। अंतरिक्ष के संसाधनों जैसे पानी, बर्फ, लोहा, टाइटेनियम और प्लेटिनम पर किसका हक होगा जिसको लेकर लड़ाई तेज हो गई है। ये भी दिलचस्प होगा कि अंतरिक्ष में कौन औद्योगिक और व्यापार नीति बनाएगा और सबसे शक्तिशाली सेना किसके पास होगी। अमरीका अंतरिक्ष में बेतरतीब तरीके से दखल चाहता है तो चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में अपनी बादशाहत कायम करने में लगा है। चीन की चाहत है कि वह सबसे पहले चांंद पर पहुंचकर वहां के संसाधनों पर कब्जा कर ले। ग्रहों में इस्तेमाल होने वाला रॉकेट फ्यूल हाइड्रोजन व ऑक्सीजन से बनता है। चीन इस ईंधन के निर्माण में लगा है जिससे अंतरिक्ष में सैन्य उपकरण और हथियारों का भंडारण हो सके।
चीन का मिशन 2030 भी तय
चीन 2030 तक चांद के उत्तरी और दक्षिणी पोल तक रोबोटिक प्रोब भेजना चाहता है। अब चीन और नासा के बीच ल्यूनर पेलोड सर्विसेस की लड़ाई है जिससे ये पता चलेगा कि अंतरिक्ष में संसाधनों का दोहन सबसे अधिक कौन करेगा। अमरीका चीन को चुनौती नहीं दे पा रहा है और चीन मजबूत होता जा रहा है।
वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत