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फसलों को कीड़ों से बचाएगी अमरीका की ‘इंसेक्ट आर्मी’

locationजयपुरPublished: Oct 11, 2018 08:32:10 pm

Submitted by:

manish singh

कीड़े मकोड़ों का इस्तेमाल जैविक हथियार के तौर पर किया जा सकता है जिससे बीमारी फैलाकर लोगों को बड़ी संख्या में एकसाथ मारा जा सकता है। तकनीक पूरी तरह सुरक्षित है जिससे वातावरण, प्रकृति और कृषि क्षेत्र को नुकसान नहीं होगा

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फसलों को कीड़ों से बचाएगी अमरीका की ‘इंसेक्ट आर्मी’

अमरीकी सेना की शोध संस्था डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) ने कीड़े मकोड़ों की मदद से पौधों और फसलों की जीन एडिटिंग की तैयारी शुरू कर दी है। पेंटागन कीड़े मकोड़ों से खराब होने वालीफसलों और पौधों को बचाने के लिए एक खास रणनीति बना रहा है। इसमें उन कीड़ों को सूचीबद्ध किया जा रहा है जिनसे फसलों को अधिक नुकसान हो रहा है। इनमें खास तरह के बग के इस्तेमाल से गेंहू और कॉर्न (भुट्टे) की फसलों में लगने वाले कीड़ों से बचाया जाएगा जिसे वैज्ञानिकों ने ‘बायोलॉजिकल वेपन’ जैविक हथियार यानि इंसेक्ट आर्मी नाम दिया है। जेनेटिक बदलाव से फसल या पौधे सुरक्षित रह सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेबर्ग में इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर सिलजा वॉनेकी कहते हैं कि पौधों व फसलों में जीन एडिटिंग जैविक हथियार संधि का उल्लंघन है। कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी के प्लांट पैथोलॉजिस्ट जेम्स स्टैक का कहना है कि कीड़े मकोड़ों के तकनीकी प्रयोग के बारे में आलोचक जो सवाल उठा रहे हैं वे किसी भी स्तर से तार्किक नहीं है।

कुछ वैज्ञानिक विरोध में उतरे

कार्यक्रम की शुरुआत डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) ने की है जिसे ‘इंसेक्ट अलाइज’ नाम दिया है। हालांकि आलोचकों का मानना है कि ये डरावना है और ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। वैज्ञानिकों और रिसर्च स्कॉलर्स का मानना है कि तकनीकी मदद से तैयार ‘इंसेक्ट अलाइज’ भविष्य में समस्याओं का पिटारा होगा। आलोचकों ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए एक वेबसाइट भी तैयार की है जिससे इस नए खतरे के बारे में लोगों को बताया जा रहा है।

तकनीक से घबराने की जरूरत नहीं

डीएआरपीएए इंसेक्ट अलाइज के प्रोग्राम मैनेजर ब्लेक बेक्सटीन का कहना है कि ये कार्यक्रम शांति की स्थिति कायम करने के लिए है। सरकारी एजेंसियां भी इसकी जांच कर रही हैं। इसे पूरी तरह से कृषि सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। जनता को इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। वो कहते हैं कि ये सही है कि तकनीक का दो तरह से इस्तेमाल हो सकता है। इसका इस्तेमाल किसी को बचाने या किसी को नुकसान पहुंचाने में हो सकता है। हालांकि ये किसी भी आधुनिक तकनीक से संभव है। इस रिसर्च का पूरा ध्यान पौधों और फसलों को बचाने का है। खाद्य सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है और इसी में दुनिया की भलाई है।

पौधों व फसलों को सुरक्षित बनाना ही लक्ष्य

पौधे की जीन एडिटिंग कर जीन्स को सक्रिय या निष्क्रिय कर सकते हैं। इसका असर ये होगा कि सूखे के समय जीन एडिटिंग से पौधे के विकास को रोका जा सकता है। जब स्थिति ठीक होगी तब उसकी ग्रोथ जीन एडिटिंग से आगे कर सकते हैं। इससे पौधों व किसानों को नुकसान नहीं होगा।

किसानों की समस्या को लेकर ब्रिटेन के वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने एक मॉलीक्यूल बनाया है जिससे कीड़ों के सूंघने की क्षमता प्रभावित होती है। बायोलॉजिकल साइंस रिसर्चर डॉ. एंटनी हूपर कहते हैं कि कीड़ों के सूंघने की क्षमता खत्म कर दी जाएगी तो फसल या पौधे खराब नहीं होंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 30 से 35 फीसदी फसल कीड़े खराब करते हैं। आइसीएआर के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल डॉ. पीके चक्रवर्ती की टीम खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बनाने में लगी है।

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