ये जानने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ३डी मॉडल की सहायता से सांपों के जीवाश्म और आधुनिक सापों के अंगों की तुलना की गई तो पता चला कि पहले के सांपों के कानों की अंदरूनी संरचना ऐसी होती थी कि वो धरती के नीचे रहने वाले जीवों का भी केवल सुनकर पता लगा लेते थे और शिकार करते थे। लेकिन आधुनिक सापों में यह क्षमता खत्म हो गई है। ऐसा किसलिए हो गया है इस पर अध्ययन जारी है।
पहले के सांप हर वातावरण में रहने के आदी थे, उनके शरीर का तापमान ताप के मुताबिक घटता और बढता था। लेकिन आधुनिक सापों में यह विशेषता लुप्त हो गई है।
जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया में सांपों की 3000 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से केवल २० फीसदी प्रजातियों के सांपों का जहर ही प्राणघातक होता है।