डॉ. श्रीनिवास का जन्म 30 दिसंबर 1919 को समस्तीपुर ( samastipur ) के गढ़सिसाई गांव में हुआ था। विदेश में उच्च शिक्षा लेने के बाद स्वदेश लौटे ताकि अपनी शिक्षा का लाभ बिहार ( bihar ) के मरीजों को दे सकें। पटना ( patna ) आकर पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग ( medicine department ) में कार्यरत हुए। यहां आकर कार्डियोलोजी स्पेशिएलिटी की नींव डाली। इससे पूर्व फिजिशियन ही हृदय रोगों का इलाज करते थे। डॉ. श्रीनिवास ने इंदिरा गांधी ( Indira Gandhi ) हृदय रोग संस्थान की स्थापना की और 1940 के दशक में अमरीका से लौटकर भारत के गरीब मरीजों का इलाज करने का निर्णय लिया।
डॉक्टर श्रीनिवास हार्ट स्पेशलिस्ट होने के बावजूद अन्य चिकित्सा से जुड़ी चीजों में दिलचस्पी रखते थे। इसी के साथ ही इन्होंने 1960 में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का मिश्रण कर पोलीपैथी की शुरुआत की। श्री निवास आधुनिक औषधि ( ayurvedic ) विज्ञान ( science ) और दूसरी चिकित्सा पद्धतियों को को बढ़ावा देना चाहते थे। इन्होंने भारत में सबसे पहले ईसीजी मशीन ( ECG machine ) लाकर एक नई मिसाल कायम की। यह मशीन अमरीका ( amrica ) से मंगवाई गई थी। इस मशीन से जवाहर लाल नेहरू ( jawar lal nehru ) नेपाल ( Nepal ) नरेश किंग महेंद्र, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ कृष्ण सिंह, डॉ जाकिर हुसैन आदि का इलाज किया गया था। बता दें कि डॉ श्रीनिवास ने फोरेंसिक साइंस में ईसीजी के इस्तेमाल पर शोध कर एक मॉडल बनाया। जिसे फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई में इस्तमाल किया जाता है। इसी खोज के कारण ही फोरेंसिक साइंस में उंगलियों के निशान के अलावा इसीजी का भी उपयोग किया जाने लगा।
डॉक्टर श्रीनिवास को इस बात का बोध हुआ कि उनकी कार्य कुशलता का पीएमसीएच में सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है तो उन्होंने एक अलग से मकान ले कर हृदय रोग के कुछ मरीजों को शिफ्ट कर दिया। क्योंकि वो हृदय रोग के मरीजों को बेहतर सुविधा देना चाहते थे। पीएमसीएच प्रशासन के हड़कंप मचाने के साथ साथ उनपर भद्दे आरोप लगाएं। लेकिन उनकी इस महान सोच को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके काम को सराहते हुए एक रूम को अस्पताल में बनाने की स्वीकृत दी। उनके प्रयासों से इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के रूप में देश का पहला हृदय रोग अस्पताल बनकर तैयार हुआ।
डॉक्टर श्रीनिवास ने 1932 में समस्तीपुर के किंग एडवर्ड इंग्लिश हाइस्कूल से पढ़ाई के बाद पटना में प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से 1944 में एमबीबीएस की डिग्री ली। इसके बाद डॉ. श्रीनिवास 1948 में एला लैमन काबेट फेलोशिप लेकर अमरीका के हार्वर्ड गए। वहां से डॉक्टर ऑफ मेडिसिन और डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली थी।