मलारना डूंगर. दोसा की लालसोट-मंडावरी तहसीलों के कुछ क्षेत्र सहित सवाईमाधोपुर जिले की मलारना डूंगर, बौंली व बामनवास तहसील के किसानों की लाइफ लाइन मोरेल बांध में छटपटाती लहरे बांध के आगोश से निकलने को आतुर है। लगातार पानी की आवक के चलते 30 फीट भराव क्षमता वाले मोरेल बांध में शुक्रवार शाम 5 बजे तक 29 फीट पानी की आवक हुई है। जबकि दोपहर एक बजे तक 28.5 फीट पानी आने के बाद जल संसाधन विभाग दोसा की ओर से अलर्ट जारी किया है।
एशिया महाद्वीप में मिट्टी के सबसे बड़े बांध का गौरव प्राप्त मोरेल बांध 1981 में टूटने के बाद बाढ़ आई थी। बांध के पुनर्निर्माण के पहली बार 1998 में बांध में 30 फीट पानी की आवक हुई थी। अब 21 साल बाद 2019 में इस बांध के ओवरफ्लो होने की उम्मीद जागी है। मुख्य केनाल जलवितरण समिति अध्यक्ष कानजी मीणा ने बताया कि ओवरफ्लो शुरू होने के बाद मोरेल नदी में पानी का बहाव शुरू होगा। इससे मलारना डूंगर क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ेगा। बांध के भरने से किसानों के चहरे खिल उठे है। लम्बे अरसे के बाद यह बांध छलकने को आतुर है।
इन्होंने किया अलर्ट जारी : यू तो मोरेल बांध का ज्यादातर पानी बोली व मलारना डूंगर तहसील क्षेत्र से निकलने वाली मुख्य नहर में छोड़ा जाता है। जबकि बांध की देखरेख दोसा जल संशाधन विभाग के जिम्मे है। विभाग के दोसा अधिशाषी अभियंता होती लाल मीणा ने शुक्रवार को अलर्ट जारी करते हुए कहा कि मोरेल बांध की पूर्ण भराव क्षमता 30 फीट है। शुक्रवार दोपहर एक बजे तक बांध का जलस्तर 28.5 फीट तक पहुंच गया है। पानी की आवक को देखते हुए आगामी 24 घण्टो में बांध ओवरफ्लो होने की पूर्ण सम्भावना है। ऐसे में आमजन को सूचित किया जाता है कि बांध के नीचे डाउन स्ट्रीम में मोरेल नदी के बहाव क्षेत्र के आस-पास किसी प्रकार की गतिविधि नहीं करें। ताकि किसी प्रकार की जनहानि ना हो सके।
सैलानियों की उमड़ रही भीड़
21 साल बाद मोरेल बांध भरने पर सैलानियों की भीड़ उमडऩे लगी। बांध के आगोश में छटपटाती लहरों को देखने के दौसा व सवाईमाधोपुर जिलों से लोगो की भीड़ पहुंच रही है। शुक्रवार को भी भारी तादाद में लोग मोरेल बांध पर पहुंचे।