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आंकड़ों में कम बारिश, लेकिन धरातल पर फसलों में खराबा

locationसवाई माधोपुरPublished: Sep 09, 2019 08:54:14 pm

Submitted by:

Abhishek ojha

तिल व बाजरा की फसल में अधिक नुकसान

आंकड़ों में कम बारिश, लेकिन धरातल पर फसलों में खराबा

आंकड़ों में कम बारिश, लेकिन धरातल पर फसलों में खराबा

मलारना डूंगर. 2016 के मुकाबले उपखण्ड क्षेत्र में कम बारिश के बावजूद अभी भी नदी नाले उफान पर है। विशेष कर मोरेल, निगोह व बनास नदी बीते एक माह से निरन्तर बह रही है। 2016 की बात करें तो 9 सितम्बर तक मलारना डूंगर तहसील में 939 मिमी वर्षा दर्ज की गई। जबकि 2019 में 9 सितम्बर तक बारिश का आंकड़ा 673 मिमी तक ही पहुंच पाया। उधर चाहे सरकारी आंकड़ों में बारिश का अंक कम हो, लेकिन इलाके में हो रही लगातार बारिश से खरीफ की फसलों में काफी नुकसान हुआ है। विशेष कर तिल व बाजरे में अधिक खराबा बताया जा रहा है।
यह है बारिश के आंकड़े
9 सितम्बर 2013 तक 875 एमएम, 9 सितम्बर 2014 तक 573 एमएम, 9 सितम्बर 2015 तक 399 एमएम, 9 सितम्बर 2016 तक 939 एमएम, 9 सितम्बर 2017 तक 392 एमएम, 9 सितम्बर 2018 तक 890 एमएम, 9 सितम्बर 2019 तक 673 एमएम बारिश हुई।
स्रोत- तहसील कार्यालय मलारना डूंगर।
व्यर्थ बह रहा अमृत

मोरेल व निगोह नदी की बात करें तो वर्षों बाद यह दोनों नदियां लम्बे समय तक बह रही है। इन दोनों मौसमी नदियों का संगम मलारना डूंगर समेला पर होता है। यहां से मोरेल नदी श्यामोली-भूरीपहाड़ी में जाकर बनास नदी में समाहित हो जाती है। ग्रामीणों की माने तो हिंदुपुरा-जटावती से निगोह नदी का उदगम होता है जो मलारना डूंगर कस्बे में पहुंच कर मोरेल नदी में मिलती है। इसी तरह मोरेल नदी मोरेल बांध के ओवरफ्लो से शुरू होती है। दोनों ही नदियों में बरसाती पानी आता है। जैसे ही बारिश का दौर थमता है दोनों नदियां सूख जाती है। इस बार ऊपरी इलाकों में अधिक वर्षा होने से दोनों ही नदियां लगातार बह रही है, लेकिन स्थिति यह है कि दोनों ही नदियों का पानी व्यर्थ बह रहा है। ऐसे में नदी बहाव से जमीनी जल स्तर तो बढ़ा है, लेकिन लम्बे समय तक टिक नहीं पाएगा।
एनिकट बने तो मिले लाभ
कांग्रेस नेता हाजी मतीन मिस्त्री, ग्रामीण अनीस उर्फ कल्लू, किसान रामफूल माली, छीतर माली, भाजपा मंडल अध्यक्ष सीताराम गुर्जर आदि ने बताया कि मलारना डूंगर में मायापुर डूंगरी के पास मोरेल नदी में एनिकट बना कर मोरेल नदी में पानी रोका जाए तो क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलेगा। साथ ही लम्बे समय तक जल स्तर बढऩे का लाभ होगा। किसानों ने बताया कि यहां के लोग लम्बे समय से एनिकट निर्माण की मांग कर रहे। अभी भी इनकी मांग लंबित है। सरपंच मुकेश नावरिया ने बताया कि वह पंचायत के माध्यम से सरकार व प्रशासन को पत्र लिख कर मलारना डूंगर में एनिकट निर्माण की मांग करेंगे।

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