इन दिनों जिला मुख्यालय पर राज्य स्तरीय हैण्डबॉल प्रतियोगिता हो रही है। इसके कुशल आयोजन के लिए बजट का टोटा बना है। एक अनुमान के अनुसार प्रतियोगिता में 50 हजार के बजट में से करीब 40 हजार रुपए तो प्रतियोगिता की ट्राफी में ही खर्च हो जाएंगे। इसके अलावा उद््घाटन, समापन, प्रमाण-पत्र , खिलाडिय़ों के खाने-पीने का बजट शामिल है।
हर बार निजी स्कूल बनते है सहारा
प्रारंभिक शिक्षा में एक रुपया खेल पर नहीं मिलता है। ऐसे में हर वर्ष निजी स्कूलों को आयोजक बनना पड़ता है। निजी स्कूलों के तैयार नहीं होने पर संकट भी खड़ा हो जाता है।
प्रारंभिक शिक्षा के तहत बास्केटबाल, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, हॉकी, साफ्टबाल, फुटबॉल, जिम्नास्टिक, क्रिकेट, एथलेटिक्स कबड्डी, खो-खो, वॉलीबाल, जुडो, कुश्ती, दौड़, लम्बी व ऊंची कूद गोला फेंक, तश्तरी फेंक, आदि खेलों में विद्यार्थी भाग लेते है, लेकिन हर वर्ष बजट के अभाव में पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती है। संसाधनों के अभाव में खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाते है। मजबूरन स्कूली छात्रों या खिलाडिय़ों को स्वयं के खर्चे पर ही खेलना पड़ता है।
अशोक शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, सवाईमाधोपुर