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एक साल से बंद उत्कर्ष योजना

locationसवाई माधोपुरPublished: Aug 18, 2019 03:32:44 pm

Submitted by:

rakesh verma

एक साल से बंद उत्कर्ष योजना

 utkarsh scheme

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सूरवाल. जिले के 110 सरकारी स्कूलों में छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने तथा नवाचारों के माध्यम से ज्ञान को स्थायी बनाने के लिए उत्कर्ष योजना शुरू की गई थी, लेकिन सरकारी तौर पर फंडिंग व्यवस्था नहीं हो पाने से अब इस योजना को बंद कर दिया गया है। फिलहाल स्थिति यह है कि कई स्कूलों में कंप्यूटर शोपीस बने हुए हैं। दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अनुसार प्रज्ञान योजना के तहत कुछ शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया था, जिनसे काम चलाया जा रहा है।

जिले के दस हजार बालक हो रहे थे लाभान्वित
जिले के सरकारी आईसीटी विद्यालयों में उत्कर्ष प्रोजेक्ट के तहत कंप्यूटर शिक्षा से लगभग दस हजार विद्यार्थी हर साल लाभान्वित हो रहे थे, लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के मोइनी फाउंडेशन के साथ हुए एमओयू करार के मुताबिक फंडिंग व्यवस्था नहीं होने से इस योजना को बंद कर दिया गया। एमओयू करार के मुताबिक जिला प्रशासन द्वारा भामाशाहों के माध्यम से इस योजना के लिए फंड की व्यवस्था की जानी थी, लेकिन पंद्रह लाख में से मात्र ढाई लाख रुपए ही दिए गए।

ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ते थे बच्चे
उत्कर्ष योजना के माध्यम से जिले के कक्षा नौ और दस के बालक-बालिकाएं क्विज एकेडमी पर अपनी मेल आईडी से लॉगिन कर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सभी विषयों की पढ़ाई करते थे। इससे बालकों में रूचि और उत्सुकता बनी रहती थी। बालक कंप्यूटर के माध्यम से अद्र्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा से पूर्व अपने सभी विषयों का ऑनलाइन टेस्ट देकर ज्ञान को परखते थे, लेकिन पिछले एक साल से अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।

सरकारी स्कूलों में नवाचारों को अपनाए जाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था, लेकिन एक साल से इसे बंद कर दिया गया है। कारण फंडिंग व्यवस्था नहीं होना है। जिला प्रशासन की स्वीकृति मिलती है तो इसे फिर से चालू करवा दिया जाएगा।
सुनील कुमार शर्मा, पूर्व जिला समन्वयक, उत्कर्ष योजना
बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए प्रज्ञान योजना के तहत कुछ शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन यह योजना कक्षा तीन से पांचवीं तक ही लागू हैं, जबकि उत्कर्ष योजना से दसवीं तक के बच्चों को कंप्यूटर और सभी विषयों की पढ़ाई का लाभ मिल पाता था। फिलहाल यह योजना बंद हैं।
सुनीता बसवाल, प्रधानाचार्या, राउमावि ओलवाड़ा

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