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जन्माष्टमी विशेष 2019: लंदन तक मची थी लड्डू गोपाल की धूम, सवाईमाधोपुर शहर में है गोपाल मंदिर

locationसवाई माधोपुरPublished: Aug 24, 2019 12:40:57 pm

Submitted by:

Vijay Kumar Joliya

सवाईमाधोपुर. जिले भर में शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। सवाईमाधोपुर जिले के इतिहास में भी भगवान कृष्ण से जुड़े कई रोचक किस्से हैं। ( Gopal temple in Sawaimadhopur city ) सवाईमाधोपुर जिले की स्थापना करने वाले राजा सवाईमाधोसिंह के बाद सवाईमाधोसिंह द्वितीय भी भगवान कृष्ण के अन्नय भक्त थे। उनकी लड्डू गोपाल के साथ विदेश यात्रा काफी चर्चित रही थी। पेश है एक खास रिपोट…।

जन्माष्टमी विशेष: लंदन तक मची थी लड्डू गोपाल की धूम, सवाईमाधोपुर शहर में है गोपाल मंदिर

Gopal temple in Sawai Madhopur city

रियासत कालीन है गोपाल महाराज का मंदिर
Janmashtami special : शहर में भैरव दरवाजे के आगे लटिया नाले के पास स्थित रियासत कालीन गोपाल महाराज के मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1824 अर्थात सन 1764 में सवाईमाधोपुर के संस्थापक महाराज माधोसिंह प्रथम ने की थी। इसमें भगवान कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की प्रतिमा विराजित की गई। तब से लेकर आजतक सैकड़ों भक्त यहां दर्शनों के लिए नित्यप्रति आते हैं।
1902 में लंदन गए थे लड्डू गोपाल
महाराजा माधोसिंह द्वितीय ब्रितानी युवराज प्रिंस अलबर्ट एडवर्ड की ताजपोशी में शरीक होने जब सन् 1902 में लंदन गए थे तो उनके साथ इष्टदेव राधा-गोपाल भी गए थे। इतिहासकार व कवि प्रभाशंकर उपाध्याय के मुताबिक धर्म भ्रष्ट नहीं हो इसके लिए ‘टॉमस कुक कंपनीÓ का नवनिर्मित जहाज ‘ओलंपियाÓ को डेढ़ लाख रुपए में किराए पर लिया गया था। जहाज में रसोईघर अतिरिक्त बनवाए गए थे। उनमें से एक भगवान का व दूसरा राजा का था। गंगाजल से संपूर्ण जहाज की धुलाई की गई थी। इसके बाद सवा सौ लोगों के लवाजमे, तीस लाख मूल्य के जेवरात के साथ महाराज उसमें सवार हुए।

लंदन में निकाली लड्डू गोपाल की यात्रा
1902 में लंदन पहुंचने के बाद रेलवे स्टेशन से ठहरने के स्थान यानी कैंपडन-हिल तक की यात्रा दो बग्घियों में संपन्न हुईं। एक घोड़ा गाड़ी में राजा और दूसरी में उनके इष्टदेव राधा-गोपाल विराजमान थे। आगे-पीछे राजसी लाव लश्कर सहित जयपुरिया लिबास में सवा सौ लोग, छत्र-चंवर सहित चल रहे थे।
अखबारों की सुर्खियों में
इतिहासकार व कवि प्रभाशंकर उपाध्याय के अनुसार लडï्डू गोपाल की शोभायात्रा का लंदन के अखबारों में विशेष वर्णन किया गया।

दूसरी सुबह लंदन के तीन
प्रमुख अखबारों ‘मार्निंग पोस्ट’, ‘क्रॉनिकल’ व ‘गे्रट थॉट्स’ की सुर्खियां थीं, ‘देवता सहित
एक राजा लंदन मेंÓ। प्रकाशित समाचारों ने समूचे ब्रिटेन में धूम मचा दी थी।

345 किलो वजनी गंगाजली थी साथ
सामानों में पांच फुट तीन इंच ऊंचे, 345 किलो वजन के चांदी के विशालकाय दो कलश ‘गंगाजलीÓ भी थे, जिनमें गंगाजल भरा हुआ था। गंगाजल को पूजा के साथ पेयजल के रूप में काम लिया गया था। ये कलश आज भी जयपुर राजमहल के सर्वत्रोभद्र चौक में रखे हुए देखे जा सकते हैं। इन्हें चांदी के चौदह हजार झाड़शाही सिक्कों को गलाकर, जयपुर के दो सुनारों ने बनाया था। चांदी की सबसे बड़ी वस्तु के रूप में इनको गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है।

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