इन गांवों को किया था विस्थापित : विभाग की ओर से 2008 में रणथम्भौर की सीमा से सटे भीमपुरा, दंगला पठार गांव के करीब 350 परिवारों को बालेर के आस-पास के क्षेत्रों में विथापित किया था। इसमें से कुछ लोग अक्षयगढ़ पंचायत के कुतलपुर गांव, कुछ बालेर तो कुछ ग्रामीण खण्डार की ओर आ गए थे। जबकि श्रीनाथपुरा, भैरूपुरा, बिशनपुरा आदि गांवों में विभाग की ओर से सर्वे की कार्रवाई तो की गई, लेकिन विस्थापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी।
100 से अधिक परिवार लौट आए
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन गांवों में विस्थािपत परिवारों में करीब 100 परिवार गांवों में वापस लौट आए हैं। ग्रामीणों ने वापस आकर जमीनों पर खेतीबाड़ी व मवेशी चराने का काम शुरू कर दिया है। वन विभाग मूक दर्शक बना हुआ है। वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग की ओर से पूर्व में निर्धारित विस्थापन पैकेज की पूरी राशि नहीं दी गई है। ऐसे में मजबूर होकर लोग वापस गांव में आकर रह रहे हैं।
बालेर के आस-पास के विस्थापित किए गांवों में ग्रामीणों के वापस लौटने की मुझे जानकारी नहीं है। ना ही कोई शिकायत मिली है। फिर भी यदि ऐसा है तो जानकारी कराकर कार्रवाई की जाएगी।
अरविंद झा, एसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर