जलदाय विभाग की ओर से जलापूर्ति के लिए शहर को कई जोन में बांट रखा है। इसी प्रकार बिजली निगम की ओर से भी अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग फीडर से बिजली आपूर्ति की जाती है। ऐसे में जलदाय विभाग व बिजली निगम के फीडर का तालमेल नहीं बैठने से जलापूर्ति के समय बिजली कटौती करने या नहीं करने की व्यवस्था बैठ नहीं पाती। जलदाय विभाग के जिस जोन में जलापूर्ति नहीं होती उसका बिजली फीडर जलापूर्ति वाले इलाके से भी जुड़ा होता है।
चम्बल का पानी आने पर ही सुधार
जलदाय अभियंताओं का कहना है कि चम्बल का पानी शहर में आने के बाद नियमित जलापूर्ति हो सकेगी। उसके बाद ही व्यवस्था में सुधार सम्भव है। तब तक 48 घंटे के अंतराल व टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती रहेगी।
शहर के विस्तार के साथ कई कॉलोनियां ऐसी है जहां जलदाय विभाग की पाइप लाइन ही नहीं है। इसके बावजूद वहां भी जलापूर्ति के समय बिजली कटौती की जा रही है। ऐसे में सुबह के समय लोगों की नींद में खलल उत्पन्न हो रहा है। गर्मी में उन्हें न चाहकर भी बेचैनी के कारण बिस्तर छोडऩे पड़ रहे हैं। डेढ़ घंटे की बिजली कटौती उनका पूरा दिन खराब कर रही है।
शहर में बिजली आपूर्ति का फीडर कॉमन है, जबकि जलदाय विभाग की जलापूर्ति जोन वार होती है। विभाग की मांग पर ही
जलापूर्ति के समय बिजली बंद रखी जाती है।
ए. के. बुजेठिया,
अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण निगम, गंगापुरसिटी।
नहीं बैठ पाती व्यवस्था
जलापूर्ति के लिए अलग-अलग जोन हैं। विद्युत वितरण निगम के भी अलग-अलग फीडर है। ऐसे में 48 घंटे के अंतराल की जलापूर्ति व्यवस्था के अनुसार बिजली कटौती की समान व्यवस्था बैठ पाना सम्भव नहीं है।
प्रदीप मीणा, सहायक अभियंता जलदाय विभाग, गंगापुरसिटी।