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मॉडल साइंस कॉलेज पर जिम्मेदारों की अनदेखी, 7 वर्ष से आवंटित जमीन पर नहीं रख सके नींव

locationसतनाPublished: Jul 15, 2019 12:22:06 pm

Submitted by:

suresh mishra

खटाई में सपना: 7 वर्ष से आवंटित जमीन पर नींव नहीं रख सके जिम्मेदार

Model Science College

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सतना। जिले के मॉडल साइंस कॉलेज का सपना खटाई में पड़ता दिख रहा। हालात यह रहे कि जमीन आरक्षित होने के बाद प्रक्रिया शिथिल हो गई। 7 वर्ष से कॉलेज के लिए आवंटित जमीन पर नींव नहीं रखी गई। इस ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे और न ही जिले के जिम्मेदार अफसर। खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा।
दरअसल, शहर में सिर्फ एक अग्रणी कॉलेज होने से हर वर्ष एडमिशन के समय मारा-मारी मचती है। इसको लेकर समय-समय पर प्राचार्य शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय सतना ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मॉडल साइंस कॉलेज के लिए जमीन आरक्षित करने की मांग की। कलेक्टर ने 24 अगस्त 2013 के प्रस्ताव को मानते हुए 4.55 एकड़ की जमीन आरक्षित कर दी।
ग्राम नीमी में आवंटित जमीन आराजी नंबर 20/315 रकबा 2.537 हेक्टेयर आर.न. 21/316 का अंश रकबा 1.618 हेक्टेयर कुल रकबा 4.155 हेक्टेयर पर नींव का पत्थर तक नहीं रखा गया। इसके बाद उद्घोषणा पत्र जारी होते ही प्रकिया शिथिल होकर रह गई। जबकि, उप संचालक नगर निवेश एवं ग्रामीण नियोजन विभाग से एनओसी भी मिल चुकी है।
एडमिशन के लिए मारामारी
15 मई 2019 को जारी 12वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के मुताबिक करीब 25 हजार छात्र पास हुए। जबकि जिले में 15 महाविद्यायलों को मिलाकर 11600 सीटें आरक्षित हैं। अग्रणी महाविद्यायल में सिर्फ 3200 के आसपास सीटें हैं। शहर में गिना चुना एक कॉलेज होने से जुलाई की शुरुआत में एडमिशन के लिए मारामारी मचती है। अंत में कॉलेज प्रशासन को दबाव में अतिरिक्त सीटें बढ़वानी पड़ती हैं।
सभी छात्र आ जाएं तो कक्षा में नहीं मिलती जगह
कॉलेज सूत्रों ने बताया, एक कमरे में बैठने के लिए 100 छात्रों की व्यवस्था होती है। लेकिन, एडमिशन 300 से लेकर 400 तक हो जाते हैं। अगर पूरे छात्र कॉलेज आ जाएं तो कक्षा में बैठना तो दूर खड़े होने का स्थान नहीं मिलता। मुख्य परीक्षा और टेस्ट के समय भी कुछ ऐसी ही स्थिति होती है। मजबूरी में कॉलेज प्रबंधन अलग-अलग तिथि निर्धारित कर छात्रों की परीक्षा लेता है।
कई गरीब छात्र तो छोड़ देते हैं पढ़ाई…
दूरदराज से आने वाले कुछ ग्रामीण छात्र डिग्री कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलने से पढ़ाई ही छोड़ देते है। इन गरीब छात्रों के हितों को लेकर मॉडल साइंस कॉलेज के मामले में आज तक सांसद-विधायक से लेकर किसी भी जनप्रतिनिधि ने आवाज नहीं बुलंद की।
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