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MP की हकीकत: खेल मैदान होने के बाद भी 94 प्रतिशत स्कूलों से खेल गतिविधियां गायब

locationसतनाPublished: Jan 18, 2019 01:54:54 pm

Submitted by:

suresh mishra

असर की रिपोर्ट ने खोली मप्र की हकीकत

Sports activities disappeared from 94 percent schools in madhyapradesh

Sports activities disappeared from 94 percent schools in madhyapradesh

सतना। खेल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन स्तर पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन, मप्र में हकीकत यह है कि 94.5 फीसदी स्कूलों में खेल शिक्षा मजाक बनी हुई है। खेल मैदान होने के बाद भी बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं।
पूरे प्रदेश में केवल 5.5 फीसदी स्कूलों में स्थाई रूप से खेल शिक्षक मौजूद हैं। यह खुलासा शिक्षा की स्थिति पर सर्वे करने वाली संस्था ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ ने वार्षिक रिपोर्ट ‘असर’ में किया है। संस्था ने एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट जारी की है।
कोई शिक्षक पदस्थ नहीं

खेल शिक्षा को लेकर रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया कि अगर 10 स्कूलों का सर्वे हुआ तो 8 में खेल मैदान पाया गया। लेकिन, वहां खेल शिक्षा के लिए कोई शिक्षक पदस्थ नहीं था। बड़ी मुश्किल से एक-दो स्कूलों में खेल शिक्षक मिले। 53.5 फीसदी प्राथमिक व 64.2 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में खेल सामग्री उपलब्ध थी, पर दूसरा सच यह था कि प्राथमिक में केवल 5.5 फीसदी स्कूलों में शिक्षक थे। उच्च प्राथमिक में यह आंकड़ा 9.6 फीसदी का रहा। इस तरह देखा जाए तो 90 फीसदी स्कूलों में खेल शिक्षा बिना शिक्षक या प्रभारी के भरोसे चल रही है।
समय निर्धारित, प्रशिक्षण नहीं
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि स्कूलों में खेल शिक्षा के लिए समय निर्धारित किया गया है, लेकिन प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। प्राथमिक में 56.6 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक में 65.1 प्रतिशत स्कूलों में टाइम टेबल निर्धारित है। 19.1 प्रतिशत प्राथमिक स्कूल ऐसे भी थे जहां कोई समय निर्धारित ही नहीं किया गया था पर बच्चों को खेल के लिए समय दिया जाता था। उच्च प्राथमिक में यह आंकड़ा 15.1 प्रतिशत पाया गया। वहीं 24.1 प्रतिशत प्राथमिक स्कूल ऐसे भी थे, जहां बिल्कुल समय नहीं दिया गया।
58 फीसदी स्कूलों में प्रभारी
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि प्राथमिक में 5.5 और उच्च प्राथमिक में 9.6 प्रतिशत ही खेल शिक्षक पदस्थ हैं। लेकिन, अधिकतर स्कूलों में खेल शिक्षकों की खानापूर्ति प्रभारी के भरोसे की गई है। यानी अन्य विषय के शिक्षको जिम्मेदारी सौंप दी गई। 58.7 फीसदी स्कूल प्रभारी खेल शिक्षक के भरोसे पाए गए। प्राथमिक में 59.1 और उच्च प्राथमिक में 58.2 फीसदी आंकड़ा रहा। 34.3 प्रतिशत स्कूल ऐसे भी पाए गए, जहां न तो खेल शिक्षक थे और न ही किसी को प्रभार दिया गया।
70 फीसदी स्कूलों में खेल मैदान
खेल मैदान की बात की जाए तो 70.2 फीसदी स्कूलों में खेल मैदान पाया गया है। ये आंकड़ा प्राथमिक में 65.7 और उच्च प्राथमिक में 77.9 फीसदी का रहा। 12.3 प्रतिशत स्कूल ऐसे भी रहे, जहां विद्यालय परिसर से अन्यत्र खेल मैदान था। जबकि 17.5 प्रतिशत स्कूलों में कोई भी खेल मैदान नहीं था।
ऐसा है सच
– 5.5 प्रतिशत स्कूलों में खेल शिक्षक पदस्थ
– 35.4 प्रतिशत में पद रिक्त
– 59 प्रतिशत स्कूलों में प्रभारी के भरोसे

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