यहां अधिकाधिक आदिवासी बच्चों ने प्रवेश लिया। अब समस्या आई भवन की। पत्राचार के बाद भी भवन नहीं मिला तो शिक्षकों ने बरगद के पेड़ के नीचे ही कक्षाएं शुरू कर दिया। यह सिलसिला अब तक अनवतरत जारी है। इस ओर न विभाग के आला अधिकारियों ने सुध ली और जनप्रतिनिधियों ने। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी प्रश्न खड़ा रहता है।
लगा रहता है डर
ग्रामीण बताते हैं, मौसम कोई भी हो, कक्षाएं पेड़ के नीचे ही लगती हैं। शनिवार को जब पत्रिका टीम ने गांव पहुंचकर जायजा लिया तो स्थिति डरावनी सामने आई। लोगों ने बताया कि बरसात में पेड़ के नीचे स्कूल लगने से आकाशीय बिजली गिरने, बच्चों को जहरीले कीड़े काटने का डर लगा रहता है। गोलहटा में ऐसा मामला सामने भी आ चुका है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन नहीं चेत रहा है।
ग्रामीण बताते हैं, मौसम कोई भी हो, कक्षाएं पेड़ के नीचे ही लगती हैं। शनिवार को जब पत्रिका टीम ने गांव पहुंचकर जायजा लिया तो स्थिति डरावनी सामने आई। लोगों ने बताया कि बरसात में पेड़ के नीचे स्कूल लगने से आकाशीय बिजली गिरने, बच्चों को जहरीले कीड़े काटने का डर लगा रहता है। गोलहटा में ऐसा मामला सामने भी आ चुका है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन नहीं चेत रहा है।
29 छात्र, पांच तक कक्षाएं
29 छात्र संख्या वाले इस विद्यालय में कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई होती है। यहां 2 अध्यापक हैं। बैठने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते सभी कक्षा के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है। तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह ने निरीक्षण किया था। कहकर गए थे कि शीघ्र ही गांव के विद्यालय को भवन मिलेगा। वादे को लगभग 9 वर्ष बीत चुके हैं। समस्या जस की तस है।
29 छात्र संख्या वाले इस विद्यालय में कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई होती है। यहां 2 अध्यापक हैं। बैठने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते सभी कक्षा के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है। तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह ने निरीक्षण किया था। कहकर गए थे कि शीघ्र ही गांव के विद्यालय को भवन मिलेगा। वादे को लगभग 9 वर्ष बीत चुके हैं। समस्या जस की तस है।
500 आबादी वाले गांव में स्कूल भवन तक नहीं
टिकरा गांव में 70-80 परिवार निवासरत हैं। यहां की की आबादी करीब 500 है। इसके बावजूद स्कूल के लिए भवन तक नहीं होना बड़े सवाल खड़ा करता है। छोटेलाल सिंह बताते हैं कि सन 1995 से विद्यालय संचालित है। कई बार भवन न होने की जानकारी दी है पर कोई प्रयास नहीं किए गए। 24 वर्ष से बरगद की छांव में स्कूल चला रहे हैं।
टिकरा गांव में 70-80 परिवार निवासरत हैं। यहां की की आबादी करीब 500 है। इसके बावजूद स्कूल के लिए भवन तक नहीं होना बड़े सवाल खड़ा करता है। छोटेलाल सिंह बताते हैं कि सन 1995 से विद्यालय संचालित है। कई बार भवन न होने की जानकारी दी है पर कोई प्रयास नहीं किए गए। 24 वर्ष से बरगद की छांव में स्कूल चला रहे हैं।